भाषा विश्वविद्यालय और शक्ति – ए नेशनल मूवमेंट फॉर वुमन के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित
ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय, लखनऊ एवं शक्ति – ए नेशनल मूवमेंट फॉर वुमन के संयुक्त तत्वावधान में “Nourishing New Life: Village Wisdom...


ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय, लखनऊ एवं शक्ति – ए नेशनल मूवमेंट फॉर वुमन के संयुक्त तत्वावधान में “Nourishing New Life: Village Wisdom...
ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय, लखनऊ एवं शक्ति – ए नेशनल मूवमेंट फॉर वुमन के संयुक्त तत्वावधान में “Nourishing New Life: Village Wisdom on Galactagogues” विषय पर एक राष्ट्रीय वेबिनार का सफल आयोजन आज गूगल मीट प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, स्तनपान, पोषण तथा पारंपरिक गैलेकटागॉग्स (दूध बढ़ाने वाले प्राकृतिक तत्वों) के वैज्ञानिक एवं पारंपरिक पहलुओं पर संवाद स्थापित करना था।
कार्यक्रम का आयोजन विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. अजय तनेजा के संरक्षण में किया गया। इसका समन्वय डॉ. ममता शुक्ला, संयोजक एवं समन्वयक (ग्राम परी अवध), और डॉ. लीना बावडेकर, महासचिव, शक्ति – ए नेशनल मूवमेंट फॉर वुमन द्वारा डॉ. सुधा तिवारी, अध्यक्ष, शक्ति के मार्गदर्शन में किया गया।
कार्यक्रम में डॉ. स्वाति शेलार, स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ, सेठ जी.एस. मेडिकल कॉलेज, मुंबई एवं संचालक, शेलार हॉस्पिटल, कल्याण; तथा डॉ. निवेदिता गोस्वामी, मुख्य बाल रोग विशेषज्ञ एवं ट्रस्टी, के.जी.एम.टी. मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल, गुवाहाटी, ने विशिष्ट वक्ता के रूप में सहभागिता की।
अपने प्रेरक संबोधन में डॉ. स्वाति शेलार ने कहा कि “जिसके हाथ में पालने की डोरी रहती है, वही पूरे संसार का उद्धार करती है।” उन्होंने स्तनपान को शिशु के लिए सर्वश्रेष्ठ एवं संपूर्ण आहार बताया, जो माँ और बच्चे के बीच भावनात्मक संबंध को सुदृढ़ करता है। उन्होंने बताया कि स्तनपान से मातृ स्वास्थ्य को भी अनेक लाभ प्राप्त होते हैं — गर्भाशय अपने प्राकृतिक आकार में लौट आता है, स्तन एवं अंडाशय के कैंसर का खतरा घटता है और मानसिक स्वास्थ्य सुदृढ़ होता है। उन्होंने पारंपरिक गैलेकटागॉग्स जैसे हरी पत्तेदार सब्जियाँ, सौंफ, मेथी और शतावरी के महत्व पर भी प्रकाश डाला, जो दूध उत्पादन में सहायक हैं और भारतीय पारंपरिक ज्ञान की समृद्ध विरासत को दर्शाते हैं।
डॉ. निवेदिता गोस्वामी ने अपने व्याख्यान में कोलोस्ट्रम (स्वर्ण तरल) के महत्व को रेखांकित करते हुए इसे नवजात शिशु का पहला प्राकृतिक टीका बताया। उन्होंने कहा कि जन्म से दो वर्ष तक नियमित स्तनपान बच्चे के शारीरिक, रोग-प्रतिरोधक एवं मानसिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने ह्यूमन मिल्क बैंक की अवधारणा पर भी विस्तार से चर्चा की, बताते हुए कि यह संस्था उन शिशुओं को पाश्चुरीकृत एवं सुरक्षित दूध उपलब्ध कराती है जिनकी माताएँ स्तनपान कराने में असमर्थ होती हैं। उन्होंने दूधदान के प्रति सामाजिक जागरूकता बढ़ाने और इसे जीवनरक्षक पहल के रूप में प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
माननीय कुलपति प्रो. अजय तनेजा ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन पारंपरिक ग्राम्य ज्ञान और आधुनिक चिकित्सा अनुसंधान के बीच एक सेतु का कार्य करते हैं। उन्होंने कहा कि मातृ एवं शिशु कल्याण के क्षेत्र में इस प्रकार के संवाद एक समग्र दृष्टिकोण विकसित करने में सहायक सिद्ध होंगे।
डॉ. सुधा तिवारी, अध्यक्ष, शक्ति ने कहा कि माताओं को जागरूकता, शिक्षा और सामुदायिक सहयोग के माध्यम से सशक्त बनाना एक स्वस्थ और संवेदनशील समाज की दिशा में आवश्यक कदम है।
कार्यक्रम का समापन ग्राम परी अवध टीम की ओर से सुश्री अनुजा द्वारा प्रस्तुत धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
इस वेबिनार ने ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय और शक्ति के उस साझा संकल्प को सशक्त किया, जिसके अंतर्गत महिला सशक्तिकरण, मातृ स्वास्थ्य जागरूकता एवं पारंपरिक ज्ञान के संरक्षण के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का प्रयास किया जा रहा है।