अयोध्या भारत की चेतना और संस्कृति को ऊर्जा प्रदान करने वाली भूमिः उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय
30वें दीक्षांत समारोह में विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने सभी के प्रति आभार व्यक्त करते कहा कि “अर्पण किसी भी व्यक्ति के लिए...


30वें दीक्षांत समारोह में विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने सभी के प्रति आभार व्यक्त करते कहा कि “अर्पण किसी भी व्यक्ति के लिए...
30वें दीक्षांत समारोह में विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने सभी के प्रति आभार व्यक्त करते कहा कि “अर्पण किसी भी व्यक्ति के लिए गौरव की बात होती है। यह भूमि केवल एक तीर्थ नहीं, बल्कि भारत की चेतना और संस्कृति को ऊर्जा प्रदान करने वाली भूमि है।” उन्होंने रामनगरी के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि अयोध्या सदियों से देश की आत्मा को जीवंत रखने वाली भूमि रही है। इस पवित्र भूमि से हमें मर्यादा, त्याग और समर्पण की प्रेरणा मिलती है।
उन्होंने कहा कि “रामनगरी वह भूमि है जिसने भारत को असीमित ऊर्जा और आस्था दी है।” उन्होंने दीक्षांत समारोह में उपाधि और स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि यह अवसर केवल सम्मान का नहीं, बल्कि जिम्मेदारी का भी प्रतीक है। उन्होंने कहा, “दीक्षांत, शिक्षांत नहीं होता। यह शिक्षा का अंत नहीं बल्कि नई जिम्मेदारियों का प्रारंभ है। अब विद्यार्थियों के सामने एक नया जीवन, नई राह और नए संकल्पों का द्वार खुल रहा है।” समारोह में उच्च शिक्षा मंत्री उपाध्याय ने छात्रों से कहा कि वे शिक्षा को केवल परीक्षा या नौकरी तक सीमित न रखें। सच्ची शिक्षा वही है जो व्यक्ति में शोध का बोध कराए, भारतीय सभ्यता, संस्कृति और साहित्य के प्रति समर्पण की भावना उत्पन्न करे और राष्ट्र के प्रति कर्तव्यबोध सिखाए। उन्होंने कहा कि “देश हमें सब कुछ देता है, हमें भी कुछ लौटाना चाहिए। शिक्षा का अर्थ केवल ज्ञान अर्जन नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण में योगदान देना है।”
उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि हमें राम, कृष्ण और शिव के जीवन से राष्ट्रवाद, समरसता और एकता की प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों से जातिवाद और भेदभाव की संकीर्ण मानसिकता को त्यागकर राष्ट्र की एकता और अखंडता को सर्वोपरि मानने का आह्वान किया। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि आज उत्तर प्रदेश के दो सरकारी विश्वविद्यालयों को ‘ए-प्लस ग्रेड’ प्राप्त हुआ है, जबकि वल्र्ड और एशिया रैंकिंग में प्रदेश के छह विश्वविद्यालयों ने अपना स्थान बनाया है। शोध के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है शोधगंगा पोर्टल पर भारत के प्रथम 40 विश्वविद्यालयों में प्रदेश के आठ विश्वविद्यालय शामिल हुए हैं।
योगेन्द्र उपाध्याय ने गर्वपूर्वक कहा कि “कुछ वर्ष पूर्व देश के शीर्ष 500 विश्वविद्यालयों में प्रदेश का नाम नहीं था, आज हमारे विश्वविद्यालय देश के प्रथम 100 विश्वविद्यालयों में स्थान प्राप्त कर चुके हैं।”राज्यपाल द्वारा शिक्षा में सुधार और शिक्षकों के निखार के लिए किए गए प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि राज्यपाल के मार्गदर्शन में शिक्षा व्यवस्था में गुणवत्ता आई है। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा शिक्षा के विकास और विस्तार के लिए किए गए कार्यों की भी प्रशंसा की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि मोदी जी ने “समुद्र की गहराइयों से लेकर आसमान की ऊँचाइयों तक भारत का परचम फहराया है।” उन्होंने स्वदेशी भावना को अपनाने का आह्वान करते हुए कहा कि “स्वदेशी बनाओ, स्वदेशी अपनाओ जब बनाएंगे, तभी अपनाएंगे, और तभी आत्मनिर्भर भारत का निर्माण होगा।” अपने उद्बोधन के अंत में उन्होंने कहा कि “संकल्प का कोई विकल्प नहीं होता। हमें दृढ़ निश्चय के साथ कार्य करना चाहिए। यही सच्ची शिक्षा और राष्ट्र सेवा है।”
30वें दीक्षांत समारोह में विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने सभी के प्रति आभार व्यक्त करते कहा कि “अर्पण किसी भी व्यक्ति के लिए गौरव की बात होती है। यह भूमि केवल एक तीर्थ नहीं, बल्कि भारत की चेतना और संस्कृति को ऊर्जा प्रदान करने वाली भूमि है।” उन्होंने रामनगरी के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि अयोध्या सदियों से देश की आत्मा को जीवंत रखने वाली भूमि रही है। इस पवित्र भूमि से हमें मर्यादा, त्याग और समर्पण की प्रेरणा मिलती है। उन्होंने कहा कि “रामनगरी वह भूमि है जिसने भारत को असीमित ऊर्जा और आस्था दी है।” उन्होंने दीक्षांत समारोह में उपाधि और स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि यह अवसर केवल सम्मान का नहीं, बल्कि जिम्मेदारी का भी प्रतीक है। उन्होंने कहा, “दीक्षांत, शिक्षांत नहीं होता। यह शिक्षा का अंत नहीं बल्कि नई जिम्मेदारियों का प्रारंभ है। अब विद्यार्थियों के सामने एक नया जीवन, नई राह और नए संकल्पों का द्वार खुल रहा है।” समारोह में उच्च शिक्षा मंत्री उपाध्याय ने छात्रों से कहा कि वे शिक्षा को केवल परीक्षा या नौकरी तक सीमित न रखें। सच्ची शिक्षा वही है जो व्यक्ति में शोध का बोध कराए, भारतीय सभ्यता, संस्कृति और साहित्य के प्रति समर्पण की भावना उत्पन्न करे और राष्ट्र के प्रति कर्तव्यबोध सिखाए। उन्होंने कहा कि “देश हमें सब कुछ देता है, हमें भी कुछ लौटाना चाहिए। शिक्षा का अर्थ केवल ज्ञान अर्जन नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण में योगदान देना है।” उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि हमें राम, कृष्ण और शिव के जीवन से राष्ट्रवाद, समरसता और एकता की प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों से जातिवाद और भेदभाव की संकीर्ण मानसिकता को त्यागकर राष्ट्र की एकता और अखंडता को सर्वोपरि मानने का आह्वान किया। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि आज उत्तर प्रदेश के दो सरकारी विश्वविद्यालयों को ‘ए-प्लस ग्रेड’ प्राप्त हुआ है, जबकि वल्र्ड और एशिया रैंकिंग में प्रदेश के छह विश्वविद्यालयों ने अपना स्थान बनाया है। शोध के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है शोधगंगा पोर्टल पर भारत के प्रथम 40 विश्वविद्यालयों में प्रदेश के आठ विश्वविद्यालय शामिल हुए हैं। योगेन्द्र उपाध्याय ने गर्वपूर्वक कहा कि “कुछ वर्ष पूर्व देश के शीर्ष 500 विश्वविद्यालयों में प्रदेश का नाम नहीं था, आज हमारे विश्वविद्यालय देश के प्रथम 100 विश्वविद्यालयों में स्थान प्राप्त कर चुके हैं।”राज्यपाल द्वारा शिक्षा में सुधार और शिक्षकों के निखार के लिए किए गए प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि राज्यपाल के मार्गदर्शन में शिक्षा व्यवस्था में गुणवत्ता आई है। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा शिक्षा के विकास और विस्तार के लिए किए गए कार्यों की भी प्रशंसा की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि मोदी जी ने “समुद्र की गहराइयों से लेकर आसमान की ऊँचाइयों तक भारत का परचम फहराया है।” उन्होंने स्वदेशी भावना को अपनाने का आह्वान करते हुए कहा कि “स्वदेशी बनाओ, स्वदेशी अपनाओ जब बनाएंगे, तभी अपनाएंगे, और तभी आत्मनिर्भर भारत का निर्माण होगा।” अपने उद्बोधन के अंत में उन्होंने कहा कि “संकल्प का कोई विकल्प नहीं होता। हमें दृढ़ निश्चय के साथ कार्य करना चाहिए। यही सच्ची शिक्षा और राष्ट्र सेवा है।”