फिल्म मेकिंग वर्कशॉप में भाषा विवि के छात्रों ने सीखी फ़िल्म निर्माण की बारीकियाँ

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फिल्म मेकिंग वर्कशॉप में भाषा विवि के छात्रों ने सीखी फ़िल्म निर्माण की बारीकियाँ
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ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग द्वारा आज एक दिवसीय फिल्म मेकिंग वर्कशॉप का आयोजन बड़े उत्साह और रचनात्मक माहौल में अटल हॉल में किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो अजय तनेजा के सरंक्षण में हुआ। इस वर्कशॉप का उद्देश्य विद्यार्थियों को सिनेमा निर्माण की व्यावहारिक प्रक्रिया, तकनीकी पक्षों और रचनात्मक दृष्टिकोण से अवगत कराना था। प्रो० तनेजा ने कहा कि सिनेमा हमारे समाज की भावनाओं, विचारों और संघर्षों का प्रतिबिंब है। युवाओं को इसकी भाषा सीखनी चाहिए ताकि वे अपने विचारों को सार्थक दृश्य रूप दे सकें।

मुख्य वक्ता के रूप में प्रसिद्ध फिल्म मेकर हेमंत तिवारी ने विद्यार्थियों को फिल्म निर्माण के विभिन्न चरणों स्क्रिप्ट लेखन, स्टोरीबोर्डिंग, कैमरा हैंडलिंग, लाइटिंग, एडिटिंग और पोस्ट-प्रोडक्शन की गहराई से जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि आज के डिजिटल युग में मोबाइल फोन से भी उत्कृष्ट शॉर्ट फिल्में बनाई जा सकती हैं, बशर्ते दृष्टिकोण और विचार मजबूत हों। वर्कशॉप में उन्होंने अपनी फ़िल्म कृष्ण अर्जुन के विषय में भी बताया। उनकी फ़िल्म एक वन शॉट फ़िल्म है और यूट्यूब जैसे व्यापक डिजिटल प्लेटफ़ार्म पर रिलीज़ की गई है। पूर्व में भी उनके द्वारा लोमड़ जैसी वन शॉट फ़िल्म रिलीज़ की गई जिसको कई अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म समारोह में सराहा गया है। हेमंत तिवारी जी मास्टर ऑफ़ वन शॉट फिल्म्स के नाम से भी जाने जाते हैं। वर्कशॉप के दौरान

तिवारी ने छात्रों के साथ लाइव डेमो सेशन में एक शॉर्ट फिल्म का शूट भी कराया, जिसमें छात्रों ने कैमरा एंगल, नैरेटिव ट्रीटमेंट, साउंड रिकॉर्डिंग और विज़ुअल कंपोज़िशन का प्रत्यक्ष अनुभव लिया।

वर्कशॉप को जनसंचार विभाग की विषय प्रभारी एवं आज के कार्यक्रम कि संयोजक डॉ रुचिता सुजॉय चौधरी ने बताया कि यह कार्यशाला विभाग की नियमित शैक्षणिक गतिविधियों का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य छात्रों को प्रायोगिक अनुभव प्रदान करना है। उन्होंने कहा फिल्म मेकिंग केवल तकनीक नहीं, बल्कि एक दृष्टिकोण है। यह सोचने, देखने और प्रस्तुत करने का एक नया तरीका सिखाती है। विद्यार्थियों को सिनेमा की इस नई तकनीक के बारे में बताते हुए डॉ चौधरी ने कहा कि हेमंत तिवारी जी की फ़िल्म मेकिंग शैली “सिनेमा बियोंड बाउंडरीज़” का सजीव उदाहरण है ।

कार्यक्रम का संचालन मुस्कान बानो द्वारा किया गया ।

कार्यशाला में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ शचींद्र शेखर, डॉ काज़िम रिज़वी के साथ ही विश्वविद्यालय के सभी विभागों से विद्यार्थियों और शोधार्थियों ने भाग लिया।

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