भाषा विवि में मनाया अंतर्राष्ट्रीय सूक्ष्मजीव दिवस
ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय लखनऊ के माइक्रोबायोलॉजी विभाग द्वारा एक प्रेरणादायक एवं सारगर्भित कार्यक्रम के रूप में मनाया गया। इस...
ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय लखनऊ के माइक्रोबायोलॉजी विभाग द्वारा एक प्रेरणादायक एवं सारगर्भित कार्यक्रम के रूप में मनाया गया। इस...
ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय लखनऊ के माइक्रोबायोलॉजी विभाग द्वारा एक प्रेरणादायक एवं सारगर्भित कार्यक्रम के रूप में मनाया गया। इस आयोजन का उद्देश्य सूक्ष्मजीवों द्वारा मानव जीवन, पर्यावरण और औद्योगिक प्रक्रियाओं में किए गए महत्वपूर्ण किंतु प्रायः अनदेखे योगदानों को रेखांकित करना था।
कार्यक्रम की शुरुआत परंपरागत दीप प्रज्वलन से हुई, जो ज्ञान एवं प्रगति की ज्योति का प्रतीक है। दीप प्रज्वलन में विश्वविद्यालय के सम्माननीय अतिथियों, संकाय सदस्यों तथा विशेष आमंत्रित मेहमानों ने भाग लिया। इसके पश्चात् डॉ. वंदिता ने अपने स्वागत भाषण में सभी आगंतुकों एवं प्रतिभागियों का हार्दिक अभिनंदन किया।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता डॉ. दीपक चंद शर्मा, प्रख्यात माइक्रोबायोलॉजिस्ट, तथा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अजय तनेजा का सम्मानपूर्वक स्वागत किया गया। दोनों अतिथियों को पौधा भेंट किया गया।
अपने मुख्य वक्तव्य में डॉ. शर्मा ने सूक्ष्मजीवों की विविधता, प्रोबायोटिक्स, एंजाइम बायोटेक्नोलॉजी एवं बायोरिमेडिएशन जैसे विषयों पर अपने शोध आधारित विचार साझा किए। उनका व्याख्यान विद्यार्थियों और उपस्थित जनों के लिए अत्यंत प्रेरणादायक एवं ज्ञानवर्धक सिद्ध हुआ।
कुलपति प्रो. अजय तनेजा ने अपने उद्घाटन भाषण में सूक्ष्मजीव विज्ञान की उपयोगिता और प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने विज्ञान में नवाचार, शोध और नेतृत्व की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए विद्यार्थियों को अनुसंधान की दिशा में अग्रसर होने का आह्वान किया।
कार्यक्रम के अंतर्गत क्विज़ प्रतियोगिता तथा पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। दोनों प्रतियोगिताओं के विजेताओं को उनकी रचनात्मकता, प्रतिभा और समर्पण के लिए सम्मानित किया गया तथा उन्हें बधाई दी गई।
कार्यक्रम के समापन अवसर पर आयोजन समिति ने डॉ. दीपक चंद शर्मा एवं प्रो. अजय तनेजा को स्मृति चिह्न भेंट कर उनके बहुमूल्य योगदान के प्रति आभार व्यक्त किया। तत्पश्चात् डॉ. शलिनी सिंह ने औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम का आयोजन डॉ. तत्हीर फात्मा (आयोजक) के मार्गदर्शन में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
अलेक्जेंडर फ्लेमिंग के प्रेरक शब्दों—“कभी भी कोई असाधारण घटना या दृश्य को नज़रअंदाज़ मत करो, यह शायद—कौन जानता है?—एक नई खोज की शुरुआत हो सकता है।”—के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
अंत में राष्ट्रीय गीत का सामूहिक गायन और फोटो सत्र हुआ, जिसमें सभी गणमान्य व्यक्तियों, शिक्षकों और विद्यार्थियों ने भाग लिया। यह आयोजन सभी के लिए एक ज्ञानवर्धक और यादगार अनुभव बन गया।





