पद्मश्री गायिका विदुषी सुमित्रा गुहा के सुरों से गुंजायमान हुआ विश्वविद्यालय परिसर

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पद्मश्री गायिका विदुषी सुमित्रा गुहा के सुरों से गुंजायमान हुआ विश्वविद्यालय परिसर
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कानपुर । छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक की प्रेरणा और मार्गदर्शन में गरिमामय सांस्कृतिक संगीत कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की मुख्य प्रस्तुति देश की सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका एवं पद्मश्री सम्मानित विदुषी सुमित्रा गुहा द्वारा दी गई, जिन्होंने अपने सुमधुर स्वरों और विविध रागों की मनमोहक प्रस्तुतियों से सभागार समां बांध दिया।

कार्यक्रम की शुरुआत कलाकारों के सम्मान से हुई, जिसमें सभी संगीतकारों को तुलसी पादप एवं अंगवस्त्र भेंट किए गए। डॉ. रश्मि गौतम ने विदुषी सुमित्रा गुहा का विशेष सम्मान करते हुए उनका पारंपरिक स्वागत किया। सुमित्रा गुहा ने अपने वक्तव्य में कहा कि “छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय में प्रस्तुति देना मेरे लिए अत्यंत हर्ष और आत्मिक संतोष का विषय है। यहाँ के विद्यार्थियों में संगीत के प्रति जो उत्सुकता और संवेदनशीलता दिखाई देती है, वह अद्भुत है। राग केवल ध्वनियों का मेल नहीं, बल्कि भावों का संवाद हैं, और उस संवाद को यहाँ के श्रोताओं ने हृदय से स्वीकार किया। मैं चाहती हूँ कि यह विश्वविद्यालय भारतीय संगीत की गौरवशाली परंपरा को और आगे बढ़ाए।”

सुमित्रा गुहा ने राग भोपाली के आलाप से कार्यक्रम का शुभारंभ किया। स्वर की कोमलता, आलाप की नजाकत और बंदिशों की सुंदरता ने श्रोताओं को आध्यात्मिक अनुभव का अहसास कराया। इसके उपरांत उन्होंने राग यमन, राग केदार सहित अनेक रागों, लोकगीतों तथा सुगम संगीत की प्रस्तुतियों से वातावरण को सुर-लय में आबद्ध कर दिया। हर प्रस्तुति के बाद सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूजता रहा। संगीत संगति में तबला पर सुमन चटर्जी, हारमोनियम पर ललित, तथा तानपुरा पर रेनू जी ने अत्यंत भावपूर्ण सहयोग दिया। इस मौके पर विभागाध्यक्ष डॉ. दिवाकर अवस्थी ने कहा कि “हमारा विभाग सदैव विद्यार्थियों को कला, साहित्य और संस्कृति से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध रहा है।

पद्मश्री सुमित्रा जैसे वरिष्ठ कलाकार का आगमन छात्रों के लिए प्रेरणादायी और ज्ञानवर्धक अवसर है। यह आयोजन निश्चित रूप से विभाग के सांस्कृतिक समृद्धि का महत्वपूर्ण अध्याय है। छात्रों के लिए यह अनुभव अत्यंत प्रेरक और शिक्षाप्रद है।” फाइन आर्ट्स विभाग के निदेशक मिठाई लाल ने कहा कि “कला का उद्देश्य मनुष्य के भीतर संवेदनशीलता को जागृत करना है। आज का कार्यक्रम संगीत, कला और संस्कृति का सुंदर समन्वय रहा। सुमित्रा जी की प्रस्तुति ने विश्वविद्यालय के सांस्कृतिक माहौल को और अधिक समृद्ध किया है। ” इस मौके पर डॉ. जितेन्द्र डबराल, डॉ. योगेन्द्र कुमार पांडे, डॉ. ओमशंकर गुप्ता, सागर कनौजिया, प्रेम किशोर शुक्ला एवं डॉ. हरिओम कुमार एवं कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के प्राध्यापक, छात्र और शोधार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। मंच संचालन सौम्या मिश्रा ने किया एवं अंत में डॉ. ओमशंकर गुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।

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