सीयू पंजाब में पद्मश्री जितेन्द्र सिंह शंटी द्वारा ‘हमारी दैनिक ज़रूरतें एवं पंजाब राज्य में मानवाधिकार’ विषय पर आमंत्रित व्याख्यान का आयोजन
· मानवाधिकारों की समझ के साथ कर्तव्यबोध का विकास भी आवश्यक: पद्मश्री जितेन्द्र सिंह शंटी बठिंडा, दिसम्बर 18: पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय...

· मानवाधिकारों की समझ के साथ कर्तव्यबोध का विकास भी आवश्यक: पद्मश्री जितेन्द्र सिंह शंटी बठिंडा, दिसम्बर 18: पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय...
· मानवाधिकारों की समझ के साथ कर्तव्यबोध का विकास भी आवश्यक: पद्मश्री जितेन्द्र सिंह शंटी
बठिंडा, दिसम्बर 18: पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयू पंजाब) की डॉ. आंबेडकर चेयर ऑन ह्यूमन राइट्स एंड एनवायरनमेंटल वैल्यूज़ द्वारा ‘हमारी दैनिक ज़रूरतें एवं पंजाब राज्य में मानवाधिकार’ विषय पर एक विचारोत्तेजक आमंत्रित व्याख्यान का आयोजन किया गया। कुलपति प्रो. राघवेन्द्र प्रसाद तिवारी के संरक्षण तथा सम कुलपति प्रो. किरण हज़ारिका के नेतृत्व में आयोजित इस कार्यक्रम में पंजाब राज्य मानव अधिकार आयोग के माननीय सदस्य एवं पद्मश्री सम्मानित समाजसेवी श्री जितेन्द्र सिंह शंटी जी ने मुख्य वक्ता के रूप में सहभागिता की।
अपने संबोधन में पद्मश्री सरदार जतिंदर सिंह शंटी जी ने कहा कि मानवाधिकार केवल विधिक प्रावधान नहीं, बल्कि दैनिक जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं—जैसे स्वास्थ्य, मानवीय गरिमा, आपातकालीन सेवाएँ, रोगियों के अधिकार तथा मृत देह के सम्मानजनक प्रबंधन—से गहराई से जुड़े हैं। उन्होंने मानवाधिकारों की समझ के साथ-साथ कर्तव्यबोध के विकास की आवश्यकता पर बल दिया। कोविड-19 महामारी के दौरान अपने सेवा अनुभव साझा करते हुए उन्होंने बताया कि समय पर एम्बुलेंस सेवा, ऑक्सीजन की उपलब्धता, चिकित्सा सहायता और मानवीय संवेदनशीलता ने कठिन परिस्थितियों में असंख्य परिवारों को संबल प्रदान किया। उन्होंने राइट ऑफ पेशेंट और राइट ऑफ डेड बॉडी जैसे अधिकारों का उल्लेख करते हुए कहा कि गरिमापूर्ण जीवन के साथ-साथ गरिमापूर्ण अंतिम विदाई भी मानवाधिकारों का अनिवार्य हिस्सा है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सीयू पंजाब के सम कुलपति प्रो. किरण हज़ारिका ने कहा कि मानवाधिकारों की रक्षा केवल संस्थाओं या कानूनों तक सीमित नहीं, बल्कि यह प्रत्येक नागरिक का नैतिक दायित्व है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि समाज की वास्तविक प्रगति तभी संभव है जब हम व्यक्तिगत सफलता से आगे बढ़कर पीड़ित, असहाय और ज़रूरतमंद वर्ग के प्रति संवेदनशील और उत्तरदायी बनें। प्रो. हज़ारिका ने पद्मश्री श्री शंटी जी के सेवा कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि “सेवा का सच्चा अर्थ शब्दों में नहीं, बल्कि कर्म में दिखाई देता है,” और उनकी एम्बुलेंस सेवा मानवाधिकारों के व्यावहारिक और जीवंत उदाहरण के रूप में सामने आती है।
कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. आंबेडकर चेयर प्रोफेसर डॉ. कन्हैया त्रिपाठी के स्वागत भाषण से हुआ, जिसमें उन्होंने विश्वविद्यालय समुदाय, विभिन्न विभागों के शिक्षकगण, विद्यार्थियों एवं आमंत्रित अतिथियों का अभिनंदन किया। अपने वक्तव्य में उन्होंने डॉ. भीमराव आंबेडकर के मानवतावादी दर्शन का उल्लेख करते हुए यह रेखांकित किया कि मानवाधिकार केवल संवैधानिक या नीतिगत संरचना तक सीमित नहीं हैं, बल्कि करुणा, सेवा, सामाजिक न्याय और सामूहिक उत्तरदायित्व के सतत एवं व्यवहारिक अभ्यास से ही उन्हें वास्तविक अर्थ प्राप्त होता है।
कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। इस अवसर पर विधि विभागाध्यक्ष डॉ. पुनीत पाठक, डॉ. आंबेडकर चेयर के सहायक आचार्य डॉ. अश्वनी कुमार सहित विश्वविद्यालय के अधिकारी, शोधार्थी एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।





