जल्द ही पिता बनने वाले हैं आदित्य नारायण
एक बार फिर प्रदेश के राजनीतिक दलों के गलियारों में चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई है।समाजवादी नेता अखिलेश यादव ने 12 प्रत्याशियों की...


एक बार फिर प्रदेश के राजनीतिक दलों के गलियारों में चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई है।समाजवादी नेता अखिलेश यादव ने 12 प्रत्याशियों की...
एक बार फिर प्रदेश के राजनीतिक दलों के गलियारों में चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई है।समाजवादी नेता अखिलेश यादव ने 12 प्रत्याशियों की कैबिनेट सूची जारी की है।समाजवादी यूपी चुनाव में बुजुर्गों के आशीर्वाद व युवाओ की ताकत से चुनाव जीतने निकले है।सपा की जीत और सपा की सरकार के पीछे बुजुर्गों का आशीर्वाद कारणभूत रहेगा।समाजवादी ड्रामा में मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव के साथ अखिलेश ने पिता चाचा के साथ क्या किया। यह विदित है।उससे उनकी आत्मा आहत हुई थी।घर के बूजुर्ग आशीर्वाद देते है तभी बाहर से आशीर्वाद मिलता है और फलीभूत होता है।खासतौर पर सपा और बसपा ने इन सीटों पर अपना कब्जा करने के लिए बैचेन है।जिस तरह से सपा ने मायावती को हर मोर्चे पर शिकस्त देने के लिए उनके उम्मीदवारों को टक्कर में अपनें प्रत्याशी इस तरह से तय किये है कि सपा को सीट नही मीले तो सही लेकिन बसपा को भी नही मिले।नही खा सकते है और नही खाने देना है।
कांग्रेस को कोई मतलब नही है।भाजपा सबका साथ सबका विकास के नारों से सभी जाति,मजहब से वोट मांग रहीं है।विभाजनकारी मानसिकता इन दलों में ही है।सपा, बसपा की परम्परागत सीटो पर 2017 ने भाजपा ने अधिपत्य स्थापित किया।समाजवादी के दिग्गज नेताओं की जीत पर भाजपा नेताओं ने जीत हासिल की है।समीकरण पिछले चुनाव से बदले हुए है।समाजवादी पार्टी ने हारे हुए उम्मीदवार को फिर से टिकट दिया है ।मायावती की सीटें अखिलेश के पास जाते हुए नही देखना चाहती है।क्षेत्रीय गणित के हिसाब से मैदान में उतारे है।समाज पर किस जाति का प्रभुत्व है ,उसी गणित से टिकट आवंटित किए है।यूपी की जेलों में बंद आरोपी भी इस बार चुनाव में ताल ठोकने के लिए तैयार है।बाहुबली और दागियों को मैदान में उतार कर राजनीतिक दल फतह करने निकले है।गुंडागर्दी और बाहुबली के नाम पर पार्टी टिकट कैसे दे सकती है।क्योंकि दहशतगर्दी और गुंडागर्दी से आहत जनता ने यूपी के अपने घरों में रात रात भर जग कर बिताई है। जनता उसी को वोट करेगी जो ईमानदार और नीतिपरायणता धारण किए है।
*कांतिलाल मांडोत सूरत*