सामाजिक न्याय के लिये बाबासाहब को किया याद
मानव अधिकार, लैंगिक समानता, सामाजिक सुरक्षा, भेदभाव, असाक्षरता, बेरोजगारी, आदि से जुड़े विभिन्न सामाजिक मुद्दों को हल करने और सामाजिक एकीकरण को सहयोग...


मानव अधिकार, लैंगिक समानता, सामाजिक सुरक्षा, भेदभाव, असाक्षरता, बेरोजगारी, आदि से जुड़े विभिन्न सामाजिक मुद्दों को हल करने और सामाजिक एकीकरण को सहयोग...
मानव अधिकार, लैंगिक समानता, सामाजिक सुरक्षा, भेदभाव, असाक्षरता, बेरोजगारी, आदि से जुड़े विभिन्न सामाजिक मुद्दों को हल करने और सामाजिक एकीकरण को सहयोग देने के लिये हर साल 20 फरवरी को वर्ल्ड डे ऑफ सोशल जस्टिस मनाया जाता है। डॉ बी. आर. आम्बेडकर ने सामाजिक व्यवस्था को चुनौती दी और शिक्षा, जातिवाद, असमानता, मानव एवं महिला अधिकारों से सम्बंधित विभिन्न नीतियों के लिये वकालत की। उनके कार्यों को याद करते हुए और उन पर रोशनी डालते हुए, एण्डटीवी के शो 'एक महानायक- डॉ बी. आर. आम्बेडकर' के कलाकारों ने भारत में सामाजिक न्याय के लिये बाबासाहब के असीम योगदान के बारे में चर्चा की। शो में युवा भीमराव की भूमिका निभा रहे अथर्व ने कहा, ''वर्ल्ड डे ऑफ सोशल जस्टिस पर आइये हम सामाजिक न्याय के लिये उनके कामों को याद करें और उनका सम्मान करें।'' रमाबाई का किरदार निभा रहीं नारायणी महेश वरणे ने कहा, ''डॉ आम्बेडकर भारत में महिलाओं के अधिकारों के महान पक्षधर थे और उन्होंने महिलाओं के हितों की रक्षा के लिये कई नीतियाँ बनाईं। उन्होंने भारत की महिलाओं के लिये वोट देने, तलाक लेने और संपत्ति पाने का मार्ग प्रशस्त किया। हिन्दु मैरिज एक्ट, हिन्दु सक्सेशन, गार्जियनशिप एक्ट और हिन्दु कोड बिल के माध्यम से उन्होंने महिला समुदाय को अपने अधिकारों के लिये लड़ने की आवाज दी। नारी समानता के लिये डॉ. आम्बेडकर के कामों को याद करने के लिये वर्ल्ड डे ऑफ सोशल जस्टिस से बेहतर दिन कौन-सा हो सकता है।'' रामजी सकपाल की भूमिका निभा रहे जगन्नाथ निवानगुणे ने कहा, ''डॉ. आम्बेडकर एक दूरदर्शी नेता और सामाजिक न्याय के प्रणेता थे।''