जाने क्यों महत्वपूर्ण है २१ अप्रैल भारत के फिल्म उद्योग के लिए

  • whatsapp
  • Telegram
जाने क्यों महत्वपूर्ण है २१ अप्रैल भारत के फिल्म उद्योग के लिए
X

भारतीय सिनेमा के इतिहास में २१ अप्रैल १९१३ को गोविन्द धुंडी राज फाल्के ने पहली बार भारत में बनी और पूरी तरह से भारतीय पात्र और कलाकारों के साथ बनी फिल्म राजा हरिश्चंद्र का प्रदर्शन किया था | फाल्के ने इस फिल्म के निर्माण के लिए अपना सब कुछ गिरवी रख दिया था - १९१२ में कैमरा और फिल्म निर्माण की तकनीक सीख कर आने वाले दादा साहेब ने भारत में न सिर्फ फिल्म निर्माण की नीव डाली बल्कि इसे एक उद्योग के रूप में भी स्थापित करने में बड़ा योगदान दिया था जिसके कारण भारत सरकार ने फिल्म निर्माण के सर्वोच्च पुरुष्कार का नाम उनके नाम पर रखा है |

इस फिल्म के निर्माण में आयी कठिनाइयों ने दादासाहेब को उनके फिल्म निर्माण की इच्छा को न रोक पाया और उन्होंने न सिर्फ इसका निर्माण २१ दिनों के अंदर कर दिया बल्कि ये ४० मिनट की फिल्म अब एक इतिहास बन चुकी है |

इस फिल्म में काम करने से तवायफों ने भी मना कर दिया तो राजा हरिस्चन्द्र की पत्नी तारामती का रोले अन्ना सालुंके को दिया गया जो आगे चलकर फिल्म निर्माण में एक बड़ा नाम बना |

दादा साहब फाल्के की पत्नी पहली महिला कलाकार बन सकती थी पर उन्होंने उस प्रोड्कशन में सभी के खाने से लेकर अन्य जिम्मेदारियों के कारण ये भूमिका नहीं की | हालांकि वो फाल्के के साथ कैमरा हैंडलिंग और एडिटिंग दोनों में साथ -साथ रहा करती थी |

आज भारतीय फिल्म इंडस्ट्री विश्व में फिल्म निर्माण के क्षेत्र में एक बड़ा नाम हो चुकी है और देश विदेश में यहाँ बनी फिल्मो ने तहलका मचा रखा है |

अभी हाल में ही राजामौली द्वारा निर्मित फिल्म आरआरआर के गाने नातू नातू ने ऑस्कर जीत कर भारत के क्षेत्रीय सिनेमा के ताकत से भी लोगो को परिचित करा दिया है |

इतना ही नहीं अब भारत में डॉक्यूमेंट्री फिल्म मेकिंग भी एक बड़ा उभरता बाजार बन कर सामने आया है जब से गुनीत मोंगा की फिल्म. ' डी एलीफैंट व्हिस्पर ने इस साल ऑस्कर जीता और दो बार ऑस्कर जितने वाली पहली भारतीय फिल्म प्रोडूसर हो गयी | आज दादा साहेब फाल्के द्वारा बोया गया बीज एक बड़े पेड़ के रूप में बदल चूका है जिसकी छत्रछाया में अनेके लोगो का कारोबार और परिवार चल रहा है |

Next Story
Share it