लगातार थिएटर में लोगो के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है द केरला स्टोरी

  • whatsapp
  • Telegram
  • koo
लगातार थिएटर में लोगो के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है द केरला स्टोरी

सिनेमा जनमानस की धारणा बदलने, सोंच परिवर्तन का सबसे शक्तिशाली माध्यम हैं, इसमें शायद ही किसी को संदेह हो। दुनिया के विकसित देशों ने अपनी सियासी, आर्थिक और सामाजिक विचारधारा को पोषित करने के लिए सिनेमा का बेहतरीन इस्तेमाल किया। जिससे दुनिया प्रभावित हुई। भारत भी अब इस राह पर चलता दिख रहा है।

‘द कश्मीर फाइल’ के बाद अब ‘द केरल स्टोरी’ रुपहले पर्दे पर है। जिसके जरिये यह समझाने का प्रयास है कि प्यार पहली नजर का बुखार है। जो अपने पीछे ऐसा रोगी छोड़ता है जो समाज को संक्रमित कर देता है। वैसे तो फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ पर एजेंडा फिल्म होने के आरोप भी है।

आलोचक यह भी कह रहे हैं कि 30 हजार लड़कियों के धर्म परिवर्तन का आंकड़ा झूठा है, मगर फिल्म के निर्माता तथ्य सही होने के दावे पर अड़े हैं। निर्माता सुदिप्तो सेन और क्रिएटिव डायरेक्टर विपुल शाह ने फिल्म में चार युवतियों की कहानी को पिरोया गया है।

तीन युवतियां एक तरफ और चौथी युवती पाले के दूसरी तरफ है। जो अंत तक देखने पर रीढ़ ही हड्डियों में कंपकपी पैदा कर देती है। दरअसल, कहानी शुरू होती है शालिनी उन्नीकृष्णन से जिसे अफगानी सुरक्षा फोर्स आतंकवादी करार देते हुए हिरासत में लेती है। शालिनी बार बार यह कहने की कोशिश करती है कि वो पीड़ित है, लेकिन उस पर विश्वास नहीं किया जाता। और फिर फ्लैशबैक में शुरू होती है शालिनी की कहानी।

कोच्चि की शालिनी कासरगोड के नर्सिंग स्कूल में पढ़ाई करने जाती है, वहां उनकी मुलाकात नीमा, गीतांजलि और आसिफा से होती है। तकनीक और प्रोफेशनल ट्रेनिंग के तहत आसिफा अपने तीन खास दोस्तों का ब्रेन वॉश करते है। बताते हैं कि इस्लाम धर्म सर्वश्रेष्ठ है और इसे सबको स्वीकारना चाहिए, ये विचार उनके दिमाग में डालती रहती है। किस तरह से केरल की ये लड़कियां आसिफा के चंगुल में फंस जाती हैं, कैसे इन लड़कियों को प्रेग्नेंट कराने के बाद बाहर देश भेजा जाता है, इन लड़कियों के साथ-साथ उनका परिवार भी किस मुश्किलों से गुजरता है, कहानी इन्हीं चीज़ों के इर्द गिर्द घूमती है।

अगर समालोचना की दृष्टि से देखें तो निर्देशक सुदिप्तो भारत के सबसे ज्यादा साक्षर कहलाने वाले राज्य की भयावह वास्तविकता को चतुराई से पेश करते हैं। उनकी ये फिल्म देखने वालों को तब बेचैन कर देती है, जब ये दिखाया जाता है कि किस तरह से सभी धर्म की निर्दोष महिलाओं को कभी प्यार से तो कभी धमकी देकर इस्लाम में परिवर्तित किया जाता है।

फिल्म में दिखाया हुआ दर्द आपके दिल तक पंहुचा कर निर्देशक का विजन सफल करते हुए दिखता है। ‘द केरल स्टोरी’ जैसे विषय को बड़े पर्दे पेश करना आसान नहीं था, लेकिन इस मामले में सुदिप्तो पास हुये कहे जा सकते हैं। लेखक ने खूबसूरती से डायलॉग लिखे हैं, श्रीलंका, सीरिया सब के ब्लास्ट में केरल के लड़के मिलते हैं, तब भी आपको साबूत चाहिए, जिसको खुद डर लगता है वो तुम्हारी रक्षा कैसे करता है। जैसे कुछ डायलॉग हैरान कर देते हैं।

अगर एक्टिंग की बात करें तो अदा शर्मा हमेशा से सेलेक्टिव रही हैं। इस फिल्म में उन्होंने बेहतरीन एक्टिंग की है। उन्होंने साउथ एक्सेंट का सही इस्तेमाल किया है। अदा के साथ योगिता और सोनिया ने भी अपने हिस्से के रोल सही तरीके से निभाया है। फिल्म में बाकी के कलाकारों ने भी अपनी भूमिका से न्याय किया है। म्यूजिक और बैकग्राउंड का भी बेहतर इस्तेमाल किया गया है।

विवाद और फैक्ट्स

मेकर्स का दावा है कि केरल से 30000 से ज्यादा लड़कियां गायब हो चुकी हैं। अपने दावे पर वो कायम रहते हैं। केरल की जिन तीन लड़कियों की कहानी फिल्म में बताई गई है। उनकी पहचान का खुलासा न करते हुए उनके वीडियो और इस फिल्म के लिए डाटा इकट्ठा करने की टीम की कोशिश फिल्म के आखिर में ऑडियंस के सामने पेश की गई है।


Next Story
Share it