आदिपुरुष के संवाद को बदलेंगे फिल्म मेकर , मनोज मुंतसिर ने दर्शकों से मांगी माफी

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आदिपुरुष  के संवाद को बदलेंगे फिल्म मेकर , मनोज मुंतसिर ने दर्शकों से मांगी माफी
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आज कल चर्चा मे रहना भी खतरनाक होता है क्योंकि लोग आपके पक्ष -विपक्ष मे तुरंत बट जाते है | यही हाल गीतकार मनोज मुंतसिर के साथ हो गया | जो साथ थे वो भी अब उनके खिलाफ जब होने लगे तो लगा की अब फिल्म आदिपुरुष से उन संवाद को हटा देना अच्छा होगा जो जन-भावना के खिलाफ है | इस फिल्म मे सिर्फ संवाद ही नहीं बल्कि कुछ दृश्यों को लेकर भी कई जगह बवाल मच चुका है |

इतनी चर्चा हो और फिल्म को फायदा न पहुचे ये तो हो ही नहीं सकता , पहले दिन ही 140 करोड़ से ज्यादा की ओपनिंग के साथ ये फिल्म दो दिन मे ही 250 करोड़ के करीब चुकी है और ऐसा ही रहा तो एक सप्ताह के अंदर ये आंकड़ा एक हजार करोड़ तक जा सकता है |

दिक्कत इस बात की है कि अपने भी साथ छोड़ते नजर आ रहे है | भारतीय जनता पार्टी के छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने फिल्म निर्माता को जन भावना से खिलवाड़ न करने की जहां सलाह दे डाली वही वर्तमान मुख्यमंत्री ने तो उनके खिलाफ कारवाई करने के लिए ही बिगुल बजा दिया | अब मुंतसिर नए -नए राष्ट्रवादी बने है तो उनको भी समझ मे आ गया होगा की राष्ट्रवाद निभाना इतना भी आसान नहीं है |

मनोज मुंतसिर ने अपनी तरफ से विवाद का समाधान करने के लिए ट्वीट कर दिया की संवाद बदल दिए जाएंगे और जन भावना का सम्मान किया जाएगा | उन्होंने कहा कि संवाद को इस तरह से लिखा गया है की उसमे हंसी का पुट हो पर शायद लोगों ने इसे गलत समझ लिया |

अब जनता कह रही है की ये लोग पैसा कमाने के चक्कर मे हमारे भगवान का इस्तेमाल कर रहे है इसलिए हम फिल्म नहीं देखेंगे पर इसके बावजूद फिल्म का कलेक्शन काफी अच्छा है |

फिल्म की अगर बात करे तो ये हॉलिवुड के एक्शन से प्रभावित है और राम को एक अलग तरीके से प्रस्तुत करने की कोशिश की गई है | मुंतसिर का ये कहना सही है कि कुछ संवाद को छोड़ कर कृपया फिल्म के गाने और अन्य संवाद पर भी तो नजर डाले | वास्तव मे काफी कुछ अच्छा है पर जनता तो विवाद ही देखती है |

फिल्म के वीएफएक्स पर काफी खर्च किया गया है | फिल्म का बजट करीब 500 करोड़ है जो भारत की किसी भी फिल्म के लिहाज से काफी ज्यादा है | पर इसके वीएफएक्स को अगर आप गौर से देखे तो आपको काफी कुछ हॉलिवुड की फिल्म अवतार की तरह दिखेगा | दृश्यों मे डीप फोकस का इस्तेमाल काफी अच्छा बन पड़ा है जो आम कैमरा से संभव नहीं है |

राम एक ऐसा नाम है जिसे लेते ही श्रद्धा अपने आप आ जाती है तो इस रोल मे जो भी होगा उसको रामानंद के राम अरुण गोविल से टक्कर लेनी पड़ती है | पर वहा पर शायद प्रभास उन्नीस ही होंगे क्योंकि राम की जो मुस्कराती , भव्य छवि हमारे आँखों मे बसी है उसका मुकाबला क्रोध या यौवन से नहीं हो सकता | निसन्देह प्रभास पर युद्ध के दृश्य अच्छे दिखते है पर बाहुबली की तरह संवाद उनको राम तक नहीं ले जाते | उनकी संवाद की अदायगी जिसमे हिन्दी की बात कर रहा हू मे उस तरह की बात नहीं है जो रामनन्द सागर ने टीवी मे दिखा दिया है |

कुल मिला कर आप राम , सीता और रावण की तुलना रामनन्द सागर के रामायण से करने जा रहे है तो निराश होंगे पर अगर उससे अलग हट कर देखेंगे तो ये फिल्म आपको निराश नहीं करेगी | राम नाम से सब काम सफल होते है तो फिल्म मेकर का मनोरथ भी सफल ही होगा |



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