कन्नड़ सिनेमा के बढ़ते कदम , केजीएफ १ और २ के बाद बनाया पहचान , बॉलीवुड को मिलेगी टक्कर

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कन्नड़ सिनेमा के बढ़ते कदम , केजीएफ १ और २ के बाद बनाया पहचान , बॉलीवुड को मिलेगी टक्कर
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प्रारंभिक वर्ष (1930-1950): पहली कन्नड़ टॉकी फिल्म, सती सुलोचना, 1934 में रिलीज हुई थी। कन्नड़ सिनेमा के शुरुआती वर्षों में कई मूक फिल्मों के साथ-साथ शुरुआती टॉकीज भी थीं, जो तकनीकी रूप से सीमित थीं। हालाँकि, इस अवधि में कन्नड़ सिनेमा के कुछ सबसे प्रतिष्ठित सितारों जैसे डॉ. राजकुमार और उदयकुमार का भी उदय हुआ।1


स्वर्ण युग (1960-1980 का दशक): 1960 और 1970 के दशक ने कन्नड़ सिनेमा के लिए एक स्वर्ण युग देखा। इस अवधि को "भक्त प्रह्लाद", "संस्कार", और "गंधदा गुड़ी" जैसी कई क्लासिक फिल्मों की रिलीज़ के द्वारा चिह्नित किया गया था। इन फिल्मों को तकनीकी और कलात्मक दोनों तरह से उनकी उच्च गुणवत्ता के लिए सराहा गया। उन्होंने भारतीय सिनेमा में कन्नड़ सिनेमा को एक बड़ी ताकत के रूप में स्थापित करने में भी मदद की।

https://en.wikipedia.org/wiki/Bhakta_Prahlada_(1983_film)

आधुनिक युग (1990-वर्तमान): 1990 और 2000 के दशक में नई शैलियों और शैलियों के उदय के साथ कन्नड़ सिनेमा का विकास जारी रहा। इस अवधि में पुनीत राजकुमार, यश और दर्शन जैसे सितारों की एक नई पीढ़ी का उदय भी हुआ। कन्नड़ फिल्में कर्नाटक के बाहर के दर्शकों के बीच भी तेजी से लोकप्रिय हुई हैं, जिसमें "केजीएफ: चैप्टर 1" और "यू-टर्न" जैसी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल रही हैं।



आज, कन्नड़ सिनेमा एक जीवंत और विविध उद्योग है जो प्रतिभाशाली फिल्म निर्माताओं और अभिनेताओं की एक विस्तृत श्रृंखला का घर है। कन्नड़ फिल्में पूरे भारत में दर्शकों के बीच लोकप्रिय हैं, और वे अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी पहचान हासिल करने लगी हैं।


सन्दर्भ: १)Sati Sulochana: Interesting trivia about Kannada's very first talkie,Swaroop Kodur | TIMESOFINDIA.COM | Last updated on -Mar 3, 2021, 16:31 IST

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