लव जिहाद विषय पर बनी फिल्म केरला स्टोरी से क्या केरल की असलियत दुनिया के सामने आएगी

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लव जिहाद विषय पर बनी फिल्म केरला स्टोरी से क्या केरल की असलियत दुनिया के सामने आएगी
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आज कल सच्ची घटनाओ पर फिल्म बनाने का एक चलन चल पड़ा है और ये फिल्मे सनसनी भी फैलाती है | पर अगर वो सच, जो ये फिल्मे दिखा रही है उसका दस फीसदी भी सही है तो भारत के हर नागरिक को अपने बहन -बेटियों के लिए अब सुरक्षा की चिंता स्वयं करने की जरुरत है | सरकार अगर सुरक्षा न दे पाए तो समाज को अपने आप को मजबूत बनाना होगा |

कहा जा रहा है की विपुल शाह की ये फिल्म केरल में लव जिहाद को जिस तरह से संगठित उद्योग के रूप में चलाया जा रहा है उसको लेकर काफी शोध कर सच्ची घटनाओ के सन्दर्भ लेकर बनायी गयी है | इसके ट्रेलर में जो भाव है अगर यही फिल्म में होगा तो ये फिल्म भी कश्मीर फाइल्स की तरह एक सफल फिल्म साबित होगी |-

लव जिहाद क्या है ? कहा जाता है की उत्तर प्रदेश में लव जिहाद के नाम पर काफी हल्ला मचा पर असल में इसकी शुरुआत केरल से हुई है जहाँ पर हिन्दू और ईसाई लड़कियों को अपने जाल में फ़सा कर उन्हें खाड़ी के देशो में ले जाकर बेच दिया जाता था | इस तरह के कई केस भी अखबारों में आये थे |




केरला फाइल्स की कहानी सच पर आधारित है और अगर ये सच है तो बहुत ही कड़वा है | इस फिल्म के आते ही पक्ष और विपक्ष दोनों खड़ा हो जाएगा पर हमें ये देखना है की सच्चाई क्या है और उसे किस तरह से जनता के सामने रखा गया है | विगत काफी दिनों से मीडिया में खबरे चल रही है की राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कई प्रचारकों पर केरल में न सिर्फ हमला हुआ है बल्कि कइयों की जान भी ली जा चुकी ही |



लव जिहाद को लेकर भारत में लगातार चर्चा हो रही है | कोई इसे प्यार के राश्ते की रुकावट करारा दे रहा है, तो कोई इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता में बाधक | पर सच्चाई क्या है ? इस पर विचार करने की जरुरत है ,और अगर ये फिल्म इस स्तर पर लव जिहाद की बात कर रही है तो उसको जांचने की जरूरत है | हम भारत की बेटियों को आतंवादियों की हवस का शिकार नहीं बनने देंगे | ये वो दरिंदे है जिनकी हरकते आपको फिल्म देखने के बाद रूह कपां देंगी |



आज गांव की जगह शहर हो गए है जहाँ हम अपने बगल में रहने वाले के बारे में भी जानकारी नहीं रख पाते | पहले गाँव में शादी -विवाह में बुजुर्ग सात पीढ़ी तक का पता लगा कर अपनी बेटिओं को दूसरे घर में भेजने से पहले जांच पड़ताल कर लेते थे | पर आधुनिक जीवन की मज़बूरी ने हमे उन लोगो से मिला दिया जिनके न गांव का पता होता है न परिवार का | एकल परिवारों के चलन ने चाचा , ताऊ , भाई के निगाहों से और संरक्षण से बेटियों को दूर कर दिया | आधुनिक जीवन में बेटियां नौकरी भी करती है और आर्थिक सुरक्षा के कारण कई बार वो स्वतंत्र निर्णय लेती है जिसमे उनका परिवार और समाज शामिल नहीं होता है |




परिवार की उपेक्षा और अपने आधुनिक होने का ख्याल हमारी बेटियों को इन दरिंदो के पास पंहुचा दे रहा है | यहाँ सवाल ये नहीं है की हमे अपने बेटियों को सिर्फ घरों में रखना है बल्कि उनको पढ़ा -लिखा कर जब हम उनका घर बनता देखना चाहते है तो वो कई बार स्वतंत्रता के चक्कर में नादानियाँ कर बैठती है | ये दरिंदे जो ऐसे लोगो के लिए तैयार बैठे होते है , उनका सुरक्षा घेरा , परिवार और समाज के हटते ही उसको अपना शिकार बना लेते है |

आज के आधुनिक समय में बेटियों को न सिर्फ पढ़ाना लिखाना है बल्कि उनको इस बात के लिए भी साक्षर करना है की पुराने विचार और प्रक्रिया हर बार गलत नहीं होते | अपने बेटियों को स्वतंत्रता देने के साथ - साथ उनको सुरक्षा का पाठ पढ़ाना भी जरुरी है |



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