द केरला स्टोरी में दिखाए सच से सामना करे समाज , उसे कल्पना मानकर न देखे
आज विपुल मेहता की फिल्म द केरला स्टोरी न सिर्फ थिएटर में तहलका मचा रही है बल्कि इसमें समाज को विमर्श का एक और मुद्दा दे कर आँखे खोलने का प्रयास...


आज विपुल मेहता की फिल्म द केरला स्टोरी न सिर्फ थिएटर में तहलका मचा रही है बल्कि इसमें समाज को विमर्श का एक और मुद्दा दे कर आँखे खोलने का प्रयास...
आज विपुल मेहता की फिल्म द केरला स्टोरी न सिर्फ थिएटर में तहलका मचा रही है बल्कि इसमें समाज को विमर्श का एक और मुद्दा दे कर आँखे खोलने का प्रयास किया गया है | ये फिल्म " लव जिहाद " मुद्दे को न सिर्फ तह से निकाल कर दर्शको के सामने रख देती है, बल्कि हर उन शोर मचाने वाले लोगो को एक ऐसा जवाब दे रही है जिनकी नजरो में लव जिहाद नाम का कोई मुद्दा ही नहीं है |
सबसे पहले अगर इस शब्द का प्रयोग करने वाले की बात करे तो वो हिन्दू संगठन नहीं है बल्कि २००९ में एक कैथोलिक चर्च है | इस पर एक हैंडबुक भी निकाली गयी थी जिसमे लव जिहाद के नौ चरणों की बात की गयी है | चर्च के अलावा केरला हाईकोर्ट ने ९ दिसंबर २००९ को जबरन धर्मांतरण पर बहुत ही स्ट्रांग कमेंट किये थे | (सन्दर्भ : लव जिहाद डिबेट इन केरला - ए टाइम लाइन )
एक सूचना के मुताबिक केरल में प्यार और धोखा के तहत धर्म परिवर्तन के कम से कम तीन से चार हजार केस हुए | मूलतः कासरगोड, कन्नूर, कोजहिकोडे , और मलप्पुरम में तक़रीबन १६०० लव जिहाद के केस सामने आये |
इतना ही नहीं केरला के मुख्यमंत्री वी एस अचुथानान्तं ने कहा कि पीऍफ़आई ने २०३० तक केरला को इस्लामिक स्टेट बना देने का प्लान बनाया और इसे हासिल करने के लिए पैसा और शादी दो तरीके अपनाये गए | उनके बयान से २०१० में एक बार फिर लव जिहाद का मुद्दा केरला में गर्म हो गया |
इसी क्रम में स्टेट के पुलिस अफसर टी पी सेनकुमार , डायरेक्टर जनरल ऑफ़ पुलिस , ने कहा कि लव जिहाद एक हकीकत है और बहुत सारी लड़किया इसके जाल में फँस कर अपना जीवन गवां चुकी है | इसमें न सिर्फ आईएसआईएस मिला हुआ है बल्कि कई लोकल संगठन भी बड़ी भूमिका निभा रहे है |
केरला स्टोरी फिल्म के रिलीज़ होते ही कांग्रेस और विपक्ष इसे बैन करने की बात करने लगा | अभी फिल्म रिलीज़ हुई नहीं की इंडिया टुडे के एंटरटेनमेंट डेस्क ने अपने स्टोरी की हेड लाइन The Kerala Story Twitter Review : Netizens say Adah Sharma's film is ' dangerous for the world' देते है इस बात की चर्चा एक बजे ही करने लगते है की फिल्म से पुरे विश्व को खतरा है | अब इनसे कोई पूछे की इन्होने कब रिसर्च किया और इनके रिसर्च में कितने दिनों तक कितने लोगो का ट्वीट फॉलो किया | फिल्म के थिएटर में आने के एक घंटे के अंदर इसे पुरे विश्व के लिए खतरा बता दिया | इस तरह की रिपोर्ट की एकाएक भरमार हो गयी है और वो इसे कल्पना मान कर खारिज करने पर लग गए |
अपने रिपोर्ट में ये लिखते है की ट्विटर इस डिवाइडेड लेकिन हैडलाइन में इसे खतरनाक बता देते है | इस तरह की इमेज फिल्म की बनाने के पीछे इस मुद्दे को सिर्फ खारिज करना है जिससे ये जनता के बीच विमर्श का मुद्दा न बनने पाए |
ये फिल्म कहानी है उन तीन लड़कियों को जो केरला के विभिन्न हिस्सों से आकर नर्सिंग की पढाई कर के अपना करियर बना कर आगे बढ़ना चाहती है | हमे इस बात का ख्याल रखना चाहिए की केरला से खाड़ी देशो में बड़ी संख्या में नर्सिंग क्षेत्र में लड़किया जाती है | ये फिल्म न सिर्फ इन तीन लड़कियों की बात करता है बल्कि सरकार को इस बात की ओर इशारा भी कर रहा है की उन लड़कियों का भी सच देखा जाए जो खाड़ी के देशो में न सिर्फ काम कर रही है बल्कि वो किस हालत में है |
जो अपने धर्म को जानता नहीं वही इन धार्मिक लोगो का शिकार बन जाता है | ये इस फिल्म का सार भी है | जब एक कम्युनिस्ट की बेटी जिसको लव जिहाद का शिकार होना पड़ा अपने पिता से शिकायत करती है की काश की उन्होंने अपने धर्म के बारे में भी अच्छे से बताया होता तो शायद वो इस्लाम को इतना तवज्जो न देती | अंत में अपनी गलती का उसे एहसास होता है पर तबतक बहुत देर हो चुकी है |
इसी तरह से जो क्रिस्चियन लड़की है वो अपने धर्म पर विश्वास तो करती है पर अपने दोस्त के धोखे का शिकार हो जाती है | उसके साथ अमानुषिक व्यवहार किया जाता है और वो भी आज तक इससे उबर नहीं पायी |
इस फिल्म की मुख्य कहानी उस हिन्दू लड़की की है जिसके पिता नहीं है और माँ ने पाला है | वो अपने मुस्लिम दोस्त की बातों में आकर न सिर्फ लवजिहाद का शिकार हो जाती है बल्कि उसके माध्यम से ही पूरी फिल्म की कहानी आगे बढ़ती है | वो जैसे - जैसे अपनी कहानी बताती है लोगो के आँखों से आंसू बहने लगते है | उसका दर्द सिर्फ उसका नहीं रह जाता बल्कि दर्शक भी उससे जुड़ जाते है |
ये फिल्म इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों की बर्बरता को दिखाती है और बताती है की किस तरह वो अभी भी मध्ययुगीन मानसिकता के साथ जी रहे है | जब तक अपने साथ हुए धोखे के बारे में उस हिन्दू लड़की को पता लगता है तब तक वो माँ बन चुकी होती है और वो अफगान -ईरान बॉर्डर पर पहुचायी जा चुकी होती है |
फिल्म के दृश्य काफी कमाल के है और सच को दिखाने का साहस करते है | फिल्म कही से भी अश्लील नहीं दिखती है जबकि ऐसे विषय पर लोगो ने अश्लीलता भरा कंटेंट से पूरा सिनेमा भर दिया है | कुछ दृश्य काफी भयावह है पर सच को दिखाने के लिए इन दृश्यों को होना भी जरुरी है |
शालिनी उन्नीकृष्णन उर्फ़ फातिमा बा जब अपने ऊपर हुए अत्याचार को बताती है तो ये उस सभी लड़कियों के लिए एक सबक है जो अपने माँ बाप को बिना बताये इस तरह के सम्बन्धो में फस जाती है |
ये फिल्म इस्लाम धर्मपर हमला ही नहीं करती बल्कि अन्य धर्म के लोगो को बताने का प्रयास करती है की संभल जाओ नहीं तो इतिहास बन जाओगे |