'बाल शिव' में एक-दूसरे से विपरीत दुनिया का अनुभव!

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बाल शिव में एक-दूसरे से विपरीत दुनिया का अनुभव!


नवीनतम पौराणिक गाथा बाल शिव का प्रसारण 23 नवंबर से शुरु हुआ है। इस शो में मां महासती अनुसुइया और उनके पुत्र बाल शिव की पौराणिक कहानी और उनके शास्वत संबंध को दिखाया जा रहा है। दर्शक इस शो में दो अलग-अलग और एक-दूसरे से विपरीत दुनिया का अनुभव करेंगे, जिनमें एक कैलाश पर्वत और दूसरा गुरूकुल है।

एक ओर बर्फ से ढंके खूबसूरत कैलाश पर्वत पर सूर्योदय के साथ भगवान शिव और देवी पार्वती की फूलों से अर्चना की जा रही है, वहीं दूसरी ओर गुरूकुल में महासती अनुसुइया (मौली गांगुली) तपस्या करके एक बंजर एवं वीरान भूमि को हरे-भरे क्षेत्र में बदल देती है। हालांकि, जब वह गुरूकुल में अनुपयुक्त व्यवहार करने के लिये देवी इंद्राणी के पुत्र को सजा देती हैं, तो देवी इंद्राणी उनका यह कहकर अपमान करती है कि वह एक बच्चे के दर्द को समझ नहीं सकती, क्योंकि वह कभी मां नहीं बन सकती है।

'बाल शिव' की महासती अनुसुइया यानी कि मौली गांगुली ने कहा, ''गुरूकुल की प्रधानचार्या होने के नाते, अनुसुइया, यहां के बच्चों को अपने पुत्र मानकर उनकी देखभाल करती है, उन्हें सर्वश्रेष्ठ ज्ञान सिखाती है और उनमें अनुशासन के बीज बोती है। हालांकि, देवी इंद्राणी अनुसुइया का अपमान करती है और उस पर अपूर्ण होने का दोष लगाती है और उसकी काबिलियत पर सवाल खड़े करती है। महासभा में महासती अनुसुइया त्रिदेव को अपनी संतान बनाने का प्रण लेती हैं।''

'बाल शिव' में महादेव का किरदार निभा रहे सिद्धार्थ अरोड़ा ने कहा, ''बाल शिव में कैलाश पर्वत को जिस खूबसूरती से प्रस्तुत किया गया है और महादेव को जिस तरह से दिखाया गया है,ऐसा वाकई में भारतीय टेलीविजन पर पहली बार हो रहा है। ''गौरतलब है कि 'बाल शिव' शो सोमवार से शुक्रवार रात आठ बजे एण्डटीवी पर प्रसारित है।

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