मुझे अपने किरदार के लिए अपना बोलने का तरीका बदलना पड़ा- अंजलि तत्रारी
जब आप किसी चीज को दिल से चाहते हैं, तो सारी कायनात उसे आपसे मिलाने में लग जाती है! जी टीवी का आगामी शो 'तेरे बिना जिया जाए ना' क्रिशा चतुर्वेदी नाम की...
जब आप किसी चीज को दिल से चाहते हैं, तो सारी कायनात उसे आपसे मिलाने में लग जाती है! जी टीवी का आगामी शो 'तेरे बिना जिया जाए ना' क्रिशा चतुर्वेदी नाम की...
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जब आप किसी चीज को दिल से चाहते हैं, तो सारी कायनात उसे आपसे मिलाने में लग जाती है! जी टीवी का आगामी शो 'तेरे बिना जिया जाए ना' क्रिशा चतुर्वेदी नाम की एक लड़की की ऐसी ही एक कहानी है, जिसने हमेशा एक राजकुमार के सपने देखे और फिर अचानक कायनात उसके सपने को सच कर देती है! क्रिशा, जिसका रोल अंजलि तत्रारी निभा रही हैं, एक साधारण लड़की है, जिसके पास बहुत सीमित साधन हैं। वो. अंबिकापुर के आकर्षक नजारों के बीच स्थित एक भव्य महल में आती है। उसे उम्मीद होती है कि वो अपनी जिंदगी के प्यार देवराज के साथ अपनी परियों वाली कहानी की शुरुआत करेगी, जो उस राजघराने के वारिस हैं। इस शो का प्रीमियर कल 9. नवंबर से होने जा रहा है और इसका प्रसारण सोमवार से शुक्रवार रात 10 बजे होगा।
असल में अंजलि ने अपना स्वास्थ्य खराब होने के बावजूद वाकई बहुत मेहनत की है, ताकि यह शो अपने भव्य स्वरूप में नजर आ सके। उन्होंने इस किरदार में ढलने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इस एक्ट्रेस ने बताया कि 'तेरे बिना जिया जाए ना' के लिए किस तरह उन्हें अपने बोलने का तरीका बदलना पड़ा, लेकिन यह सब वाकई कारगर रहा।
अपनी तैयारियों को लेकर अंजलि ने कहा, ''मेरा किरदार क्रिशा उदयपुर की एक सीधी-सादी लड़की है, जो अपने सपनों के राजकुमार, प्रिंस देवराज के साथ एक नई जिंदगी शुरू करने का सपना लिए एक भव्य राजमहल में आती है। प्रिंस देवराज अंबिकापुर के शाही परिवार के वर्तमान वारिस हैं। देवराज का परिवार अब भी रजवाड़ों की शान में रहता है और बड़ी शिद्दत से परंपराओं को मानता है। उनके परिवार में ढलने के लिए क्रिशा को अपने बोलचाल के तरीके और रीति-रिवाजों के पालन जैसी बहुत बातों का ख्याल रखना पड़ता है। ऐसे मुझे बहुत-सी छोटी-छोटी चीजों में सुधार करने की जरूरत थी। पहले तो मैं उदयपुर की एक लड़की का रोल निभा रही हूं, इसलिए मुझे थोड़ी मेवाड़ी और कुछ राजस्थानी शब्द सीखने पड़े, जिन्हें वो अपनी रोज की जिंदगी में इस्तेमाल करते हैं। क्रिशा एक शाही परिवार का हिस्सा बनती है, तो मुझे भी खुद को 'मैं' के बजाय 'हम' कहकर संबोधित करने की आदत डालनी पड़ी। तो 'तेरे बिना जिया जाए ना' के लिए मुझे अपने बोलचाल के तरीके को पूरी तरह बदलना पड़ा। अपने किरदार के लिए परंपराओं और रीति-रिवाजों को समझने में मैंने कुछ संदर्भों को भी देखा, ताकि मैं अपना किरदार सटीक तरीके से निभा सकूं। मुझे लगता है कि मेरी पूरी तैयारियों ने शूटिंग के दौरान मेरी काफी मदद की। मुझे उम्मीद है कि मैं इस बेहतरीन किरदार के साथ न्याय कर सकूंगी और सभी मुझे ढेर सारा प्यार और सम्मान देंगे।''