तुषार चावला का सीए से एक्टर बनने तक का सफर
नए रोमांटिक ड्रामा 'अगर तुम ना होते' में तुषार चावला ने डॉक्टर आनंद के रोल में दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। हर इंसान को अपनी जिंदगी के संघर्षों...
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नए रोमांटिक ड्रामा 'अगर तुम ना होते' में तुषार चावला ने डॉक्टर आनंद के रोल में दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। हर इंसान को अपनी जिंदगी के संघर्षों...
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नए रोमांटिक ड्रामा 'अगर तुम ना होते' में तुषार चावला ने डॉक्टर आनंद के रोल में दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। हर इंसान को अपनी जिंदगी के संघर्षों से गुजरना होता है और जब आप इससे गुजरते हैं, तभी आप सफलता का स्वाद चखते हैं। तुषार चावला के हिस्से में भी अपने संघर्ष थे और तब कहीं जाकर वो एक एक्टर बने। तुषार ने कभी एक्टर बनने की योजना नहीं बनाई थी, लेकिन अपनी मां के कारण उन्होंने इसमें हाथ आजमाए। अपने कॉलेज के दिनों में कुछ ब्रांड्स के लिए मॉडलिंग करने के बाद तुषार अपनी किस्मत आजमाने मुंबई आ गए। और अपनी मां और अंकल के लगातार सपोर्ट से उन्हें कुछ पौराणिक शोज़ में सेकंड लीड भूमिकाएं भी मिलीं, जिससे वो और बेहतर करने के लिए प्रेरित हुए। कई सालों तक छोटे-मोटे रोल्स और कुछ प्रोजेक्ट्स में काम करते हुए तुषार चावला ने अपनी जगह बनाई और अंततः उन्हें अगर तुम ना होते में डॉ. आनंद की भूमिका मिली।
तुषार ने कहा, ''मेरे पिता चाहते थे कि मैं सीए करके अपने परिवार का बिजनेस संभालूं, लेकिन मेरी मां को विश्वास था कि मैं एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में काफी कुछ बेहतर कर सकता हूं। उनके कारण ही मैंने चांस लिया और अपने पिता के निधन के बाद मुंबई आ गया और अपनी सीए की तैयारी बंद कर दीं। जब मैं मुंबई आया था, तब मेरे अंकल चोकस भारद्वाज ने मेरी बहुत मदद की थी। मेरे लिए यह आसान नहीं था, क्योंकि मुझे याद है मैं सुबह जल्दी उठकर अपने ऑडिशन के लिए जाता था और देर रात वापस आता था। कुछ महीनों तक इसी तरह चलता रहा और इस दौरान मैंने कुछ शोज़ में छोटे-मोटे रोल्स भी किए, जिनमें से ज्यादातर भूमिकाएं पौराणिक थीं। मुझे जो भी रोल मिला, मैं करता रहा। तो मेरे लिए तो यहकिरदारों को चुनने के बारे में था ही नहीं बल्कि जो मिले उसे करना था।''