राजनीति में अब बाप बेटे की चलेगी वंशवाद की राजनीति

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राजनीति में अब बाप बेटे की चलेगी वंशवाद की राजनीति

नया युग शुरूजहां एक और सारी विपक्षी पार्टी वंशवाद के खिलाफ चुनाव लड़कर लामबंद हुई थी अब उन्हीं पार्टियों के अंदर वंशवेल इतनी बढ़ चुकी है कि वह इस आंदोलन को भूल गए।महाराष्ट्र के मंत्रिमंडल में पूर्व मुख्यमंत्री और मंत्रियों के इतने बेटे बेटियों को जगह मिली है कि ये शब्द ही राजनीति से गायब हो जाएगा।

लोग जब वंश की राजनीति की बात करते हैं तो कांग्रेसका नाम आता था पर अब कांग्रेस को कोसने वाले ही वंश गत राजनीति के मसीहा बन गए हैं।उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव के पुत्र अखिलेश यादव जहां कमान संभाले हुए हैं वहीं बिहार में लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेजस्वी यादव है।मध्यप्रदेश में जहां सिंधिया हैं वही राजस्थान में सचिन पायलट है महाराष्ट्र में देशमुख हो या ठाकरे सबने अपनी वंश की ताकत को इस्तेमाल कर मंत्री और मुख्यमंत्री बनने का रास्ता तय कर लिया है।

अब मंत्री और मुख्यमंत्री बनने के लिए कार्यकर्ता तरसते रहेंगे क्योंकि उनके नेता राजा महाराजा की तरह मंत्री और मुख्यमंत्री पहले ही तय कर चुके हैं। भारतीय लोकतंत्र को लगी दीमक का असर हर तरफ दिखाई दे रहा है जहां अयोग्य जनता की सेवा के नाम पर जनता के धन को दीमक की तरह चार जा रहे हैं वहीं योग्य कार्यकर्ता बन अपने नेता की प्रशंसा करने के लिए जीवन भर के राज कर्म में लगे हुए है।

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