फ्रांस ने मुस्लिम शिक्षकों और इमाम के प्रवेश पर लगाई रोक , देश में कट्टरपंथ रोकने के लिए लिया फैसला

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फ्रांस ने मुस्लिम शिक्षकों और इमाम के प्रवेश पर लगाई रोक , देश में कट्टरपंथ रोकने के लिए  लिया फैसला


रंजीत कुमार
विदेशी शिक्षकों और इमाम को फ्रांस सरकार ने देश में आने पर रोक लगा दी. बुधवार (13 फरवरी) को राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि यह फैसला कट्टरपंथ और अलगाववाद रोकने के लिए लिया गया है. साथ ही स्पष्ट किया कि फ्रांस में मौजूद सभी इमामो को फ्रेंच सिखाना अनिवार्य होगा.|

उन्होंने आगाह किया कि फ्रांस में रहने वालों को कानून का सख्ती से पालन करना होगा. राष्ट्रपति इमैनुएल ने पूर्वी फ्रांस के मुस्लिम बहुमूल्य मूलहाउस शहर का दौरा किया. उन्होंने कहा मै विदेशी मुस्लिम शिक्षकों और इमामो के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा रहा हूं.|

इन लोगों के कारण देश में कट्टरपंथ और अलगाववाद का खतरा बढ़ रहा है. इसके साथ-साथ विदेशी दखलअंदाजी भी नजर आती है. समस्या उस समय आता है, जब कोई मजहब के नाम पर कुछ लोग खुद को अलग समझने लगते हैं और देश के कानून का सम्मान नहीं करते हैं. |


पिछले साल फ्रांस की कुल जनसंख्या करीब 6.7 करोड़ थी. इसमें करीब65 लाख मुस्लिम है. अल्जीरिया,ट्यूनीशिया, मोरक्को और तुर्की, फ्रांस से 1977 में 4 देशों में समझौता हुआ था. जिसमें मुस्लिम शिक्षक और इमाम भी भेज सकते हैं. इस समझौते में यह भी शर्त थी कि फ्रांस में अधिकारी इन शिक्षक या इमाम के काम की निगरानी नहीं करेंगे|

. हर साल 300 इमाम करीब 80 हजार छात्रों को शिक्षा देने फ्रांस आते थे. 2020 के बाद समझौता खत्म हो जाएगा. सरकार ने फ्रेंच मुस्लिम काउंसिल को आदेश दिया है कि वह इमामो को स्थानीय भाषा सिखाए और किसी पर इस्लामिक विचार न थोपे जाए.

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