हथियार नहीं वेंटिलेटर बनाया होता तो अपनों को मरता नहीं देखते
आज हम इतिहास के उस दौर से गुजर रहे है जहा पर हमारी आगे आने वाली पीढ़िया ये बतायेंगी की जब कोविड १९ का दौर था तो मै आठ साल या दस साल का था | शायद कोई...
आज हम इतिहास के उस दौर से गुजर रहे है जहा पर हमारी आगे आने वाली पीढ़िया ये बतायेंगी की जब कोविड १९ का दौर था तो मै आठ साल या दस साल का था | शायद कोई...
आज हम इतिहास के उस दौर से गुजर रहे है जहा पर हमारी आगे आने वाली पीढ़िया ये बतायेंगी की जब कोविड १९ का दौर था तो मै आठ साल या दस साल का था | शायद कोई ऐनी फ्रैंक जैसी रचना का समय भी हो गया हो जो उसे गढ़ रहा हो और आने वाले समय में उसे पढ़ कर हमारी नस्ले हम पर तरस खाए |
आज हर तरफ निराशा का दौर है और इसमें आशा की लकीर कही दूर -दूर तक नजर नहीं आ रही है | अभी शुरुआत है और ये जंग बड़ी लम्बी चलनी है जिसमे अंतिम पड़ाव पर वही पहुचेगा जो इसे सबसे धीरे दौड़ेगा |
आज प्रथम और द्वितिय विश्व युद्ध के साक्षी कुछ ही लोग है जो उस दौर की बाते बता सकते है जब एक दुसरे की लाशों पर चलकर जाना पड़ता था | आज भी कमोबेश वही स्थिति आ सकती है अगर हम ने इतिहास से सबक नहीं लिया और इटली और अमेरिका की गलती दोहरा दी |
कहा जाता है कि मुश्किल वक़्त में वही पेड़ बचता है जो झुक जाता है और ये समय सभ्यताओ का झुकने का है जो नहीं मानेगा उसका नामलेवा भी न बचेगा | आज विश्व की सबसे बड़ी अर्थ व्यवस्था अमेरिका को अपनी हथियार बेचकर राज करने का खामियाजा भरना होगा जब उसके लोग मर रहे होंगे तो वो उनको वेंटिलेटर नही उपलब्ध करा पायेगा |
ये स्थिति सिर्फ अमेरिका की नहीं है जहाँ पर जितने हथियार अमेरिका के नागरिको के पास है उतने न तो फेस मास्क है और न तो वेंटिलेटर | अब जब ये तय करना होगा की दादा को बचाए या नाना को या भाई को तो जिसका वेंटिलेटर हटेगा वो अमेरिका की नस्ली श्रेष्ठता का दंभ भरने वालों को कोसता ही मरेगा |
आज अमेरिका चीन से 5 लाख फेस मास्क आर्डर कर रहा है जिससे वो ट्रेड वॉर लड़ रहा था | आज ये हाल जब विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यस्था का है तो हमारा क्या होगा इसकी कल्पना कर के भी दिल काँप उठता है | अगर भारत की बीस फीसदी जनता को भी ये रोग होता है तो येविश्व के सभी देशो से ज्यादा जनसँख्या २६ से ३० करोड़ होगा | और अगर इसमें से 2 प्रतिशत भी क्रिटिकल केयर के लिए मांग करेंगे तो ये पचास से साठ लाख वेंटिलेटर होंगे |
हमारे पास कुल मिलाकर ४० हजार है और उनमे से ज्यादातर तो बड़े लोग और नेता ले लेंगे तो जनता का क्या होगा उसके पास सिवाय मरने और इस रोग को फ़ैलाने के अलावा और कोई काम नहीं होगा | मारने वालो को जलाने की लकड़ी और लोग नहीं मिलेंगे और लावारिश लाशे हर तरफ इस बीमारी को महामारी बना देंगे और करोणों लोग इसकी जद में आ जायेंगे |
आज हसने वाले लोग अगर गंभीर नहीं हुए तो कल आपका काल आपके उपर हसेगा | आने वाली पीढ़िया हमें जयचंद और मीर जाफर की तरह किताबों में पढ़ेंगी और हम एक पूरी सभ्यता का नाश करने वाले लोग होंगे |
जरुरत है कि आप संभल जाए और अगले पंद्रह दिन पंद्रह सदी की तरह लगे पर उसे पूरी सिद्दत के साथ बिता लीजिये | योगी और मोदी जी तो आते जाते रहेंगे उनसे लड़ने के चक्कर में पूरी सभ्यता पर ग्रहण मत बनिए - आज वक़्त है संभलने का तो वक़्त रहते संभल जाइए अन्यथा अपने तो होंगे नहीं पर आपके जनाजे में शामिल होने वाले अन्य लोग भी नहीं मिलेंगे |