अवध चित्र साधना फिल्म फेस्टिवल का पोस्टर हुआ लांच , नवंबर में होगा बड़ा समारोह
"सुनने की और देखने के अलावा सानिध्य से भी संचार में आता है प्रभाव" ये बाते अवध प्रान्त के क्षेत्र प्रचार प्रमुख श्री सुभाष जी ने आज अवध चित्र साधना...
"सुनने की और देखने के अलावा सानिध्य से भी संचार में आता है प्रभाव" ये बाते अवध प्रान्त के क्षेत्र प्रचार प्रमुख श्री सुभाष जी ने आज अवध चित्र साधना...
"सुनने की और देखने के अलावा सानिध्य से भी संचार में आता है प्रभाव" ये बाते अवध प्रान्त के क्षेत्र प्रचार प्रमुख श्री सुभाष जी ने आज अवध चित्र साधना फिल्म फेस्टिवल के पोस्टर लांच के अवसर पर कही | उन्होंने बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के स्मार्ट सभागार में आयोजित समारोह में ये बाते साझा की | उन्होंने बताया कि कैसे हमारी सभ्यता जो ध्वनि आधारित थी उसमे चित्रों ने भी अपनी भूमिका बना ली है | उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि कैसे एक परिवार में बच्चें ने सीरियल देखकर अच्छी बाते सीखी | उन्होंने बताया की फिल्मों के माध्यम से हम जहाँ अच्छी बातें सीख सकते है वही गलत सूचना भी बड़ी जल्दी लोग सीख जाते है |
फिल्म माध्यम की गंभीरता और प्रभाव को बताते हुए उन्होंने बताया की कैसे आज देश विरोधी सिनेमा बन रहा है | इस चित्र की दुनिया में हमें संस्कारो को भी बचाना होगा और ये काम सिनेमा कर सकता है | बुरे सिनेमा से लड़ने का काम अच्छा सिनेमा करेगा और इस तरह के मौके प्रदान करने का काम अवध चित्र साधना के माध्यम से किया जाएगा | उन्होंने पत्रकारिता के विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा की सिनेमा सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं है ये समाज का दर्पण है जिसमे हर अच्छी -बुरी बाते सामने आती है |
इस समारोह की शुरुआत में अतिथियों का स्वागत करते हुए विभागाध्यक्ष प्रो गोविन्द जी पांडेय ने बताया की किस तरह से समाज से संस्कार और सभ्यता को सिनेमा के माध्यम से लोगो के सामने लाया जा सकता है | प्रो पांडेय ने अथितियों का स्वागत करते हुए बताया कि इस फेस्टिवल का आयोजन विभाग और अवध चित्र साधना के सयुक्त प्रयासों से किया जायेगा | इस फेस्टिवल में छात्र अपनी फिल्मे १ नवंबर २०२४ तक भेज सकते है | इसका मुख्य समारोह १६ -१७ नवंबर को आंबेडकर विश्वविद्यालय में होने का प्रस्ताव रखा गया है , जिसकी अनुमति मिलते है फेस्टिवल का कार्य तीव्र गति से शुरू कर दिया जाएगा | विभाग अपनी तरह से कोशिश कर बच्चो को समाज के संस्कार और विलुप्त होती कलाओं से परिचय करा रहा है |
अवध प्रान्त के प्रान्त प्रचार प्रमुख डॉ. अशोक दुबे जी ने बताया की किस तरह इस कार्यक्रम के माध्यम से लोग विभिन्न समस्याओं से जागरूक कर रहे है | फ़िल्में न सिर्फ मनोरंजन बल्कि जागरूकता बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम है | उन्होंने डॉ अम्बेडकर का उदाहरण देते हुए बताया की कैसे हमारा संविधान लोगो को जोड़ने का काम करता है और फिल्मे भी लोगो को संस्कार और समाज को जोड़ने का काम कर सकती है |
ये फिल्म फेस्टिवल १६-१७ नवंबर २०२४ को आयोजित होगा | इसमें कई केटेगरी में फिल्मे भेज कर छात्र - छात्राएं इनाम पा सकते है | इसके अलावा इस फिल्म फेस्टिवल में मास्टर क्लास का भी आयोजन किया जाएगा जहाँ फिल्म जगत से जुडी मशहूर हस्ती फिल्म मेकिंग के बारे में चर्चा करेंगे |
विशिष्ट अतिथि डॉ. अरुण त्रिवेदी , पूर्व निदेशक , भारतेन्दु नाट्य अकेडमी , ने फिल्मों के प्रभाव को बताते हुए बताया की किस तरह से एक फिल्म नैतिक मूल्यों को स्थापित कर सकती है | उन्होंने छात्रों के साथ अपने अनुभव साझा करते हुए कहा की वो हर तरह से छात्रों की मदद के लिए तैयार है |
इस कार्यक्रम का संचालन विभाग के वरिष्ठ शिक्षक डॉ. अरविन्द सिंह ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. लोकनाथ ने किया | कार्यक्रम में विभाग के वरिष्ठ शिक्षक डॉ. कुंवर सुरेंद्र बहादुर, फिजिक्स विभाग से डॉ. अनिल यादव जी , हिंदी विभाग से डॉ. बलजीत श्रीवास्तव के अलावा , विभिन्न विभाग के शोध छात्र और छात्राएं भी कार्यक्रम में शामिल हुए |