डोनल्ड जे. ट्रंप के नेतृत्व में विदेश विभाग, वित्त विभाग और वाणिज्य विभाग ने ईरान के परमाणु ख़तरों से निपटने के लिए महत्वपूर्ण कार्रवाई की

  • whatsapp
  • Telegram
  • koo
डोनल्ड जे. ट्रंप के नेतृत्व में विदेश विभाग, वित्त विभाग और वाणिज्य विभाग ने ईरान के परमाणु ख़तरों से निपटने के लिए महत्वपूर्ण कार्रवाई की

ट्रंप प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि अमेरिका आतंकवाद और यहूदी-विरोधवाद के दुनिया के अग्रणी सरकारी प्रायोजक ईरान को मध्य पूर्व और दुनिया भर में मौत और तबाही फैलाने से रोकने के लिए जो भी ज़रूरी होगा वो करेगा। ईरान के परमाणु हथियार हासिल कर दुनिया के लिए ख़तरा बनने का इंतज़ार करने के बजाय, अमेरिका एक बार फिर अमेरिकी वैश्विक नेतृत्व की सर्वश्रेष्ठ परंपराओं का निर्वाह करते हुए ज़िम्मेदारीपूर्ण कार्रवाई कर रहा है।

आज राष्ट्रपति डोनल्ड जे. ट्रंप के नेतृत्व में विदेश विभाग, वित्त विभाग और वाणिज्य विभाग ने ईरान के परमाणु ख़तरों, और साथ ही उसके द्वारा मिसाइल और परंपरागत हथियारों के प्रसार से निपटने के लिए महत्वपूर्ण कार्रवाई की है।

इन सभी क्षेत्रों में, ईरान दुनिया के लिए अद्वितीय ख़तरा पेश करता है। ईरानी शासन अपने परमाणु कार्यक्रम का उपयोग अंतरराष्ट्रीय समुदाय से फ़िरौती ऐंठने तथा क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा को ख़तरे में डालने के लिए करता है। ईरान के पास मध्य पूर्व में सबसे बड़ा बैलिस्टिक मिसाइल बल है, और उसने यमन के हूती उग्रवादियों और लेबनान एवं सीरिया के हिज़बुल्ला आतंकवादियों जैसे हिंसक ग़ैर-सरकारी तत्वों को मिसाइल और मिसाइल उत्पादन तकनीक उपलब्ध कराए है। अमेरिका और उसके सहयोगी बलों ने गत वर्ष कई मौक़ों पर हूतियों को भेजे जा रहे ईरानी हथियारों को पकड़ा था, जो साबित करता है कि ईरानी शासन मध्य पूर्व को अस्थिर करने तथा पूरे क्षेत्र में भयावह सांप्रदायिक हिंसा और आतंकवाद फैलाने के लिए निरंतर पारंपरिक हथियारों के अपने भंडार का उपयोग कर रहा है।

ये कार्रवाइयां इस बात को रेखांकित करती हैं कि अमेरिका ईरानी परमाणु, मिसाइल, और पारंपरिक हथियारों के ख़तरों का मुकाबला करने में संकोच नहीं करेगा, कि जिनके कारण संयुक्तराष्ट्र सुरक्षा परिषद को पहले 2006 में सर्वसम्मति से ईरान पर प्रतिबंध लगाने पड़े थे। संयुक्तराष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2231 के तहत प्रतिबंधों की वापसी के कारण ईरान के खिलाफ़ ये प्रावधान अब फिर से प्रभावी हो गए हैं।

हमारी कार्रवाइयों में शामिल हैं:

राष्ट्रपति ट्रंप का ईरान से संबंद्ध पारंपरिक हथियारों के हस्तांतरण को लक्षित एक नया कार्यकारी आदेश जारी करना। ईरान पर संयुक्तराष्ट्र के हथियार प्रतिबंध अब अनिश्चित काल के लिए दोबारा लागू हो गए हैं, और हम यह सुनिश्चित करेंगे कि ईरान के अपना रवैया बदलने तक ये जारी रहें। नया कार्यकारी आदेश हमें प्रतिबंधों से बचने का प्रयास करने वाले किरदारों को ज़िम्मेदार ठहराने के साधन देता है।

विदेश विभाग द्वारा पारंपरिक हथियारों से संबंधित गतिविधियों के लिए ईरान के रक्षा एवं सशस्त्र बल सैन्य-तंत्र मंत्रालय (एमओडीएएफ़एल), ईरान के रक्षा उद्योग संगठन (डीआईओ) और उसके निदेशक मेहरदाद अखलाग़ी-किताबची, और साथ ही वेनेज़ुएला के अवैध तानाशाह निकोलस मादुरो पर ईरान के पारंपरिक हथियार संबंधी नए कार्यकारी आदेश के तहत प्रतिबंध लगाया जाना।

विदेश विभाग और वित्त विभाग द्वारा कार्यकारी आदेश 13382 (महाविनाश के हथियारों का प्रसार करने वालों और उनके समर्थकों से संबंधित) के तहत ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन (एईओआई) से जुड़े छह व्यक्तियों और तीन उपक्रमों पर प्रतिबंध लगाया जाना। इस कार्रवाई में शामिल एक व्यक्ति और एक उपक्रम वो हैं जिन्हें 9 सितंबर 2020 को फिर से लागू संयुक्तराष्ट्र के प्रतिबंधों के तहत दोबारा नामित किया गया है।

एईओआई से संबद्ध पांच व्यक्तियों को वाणिज्य विभाग की एंटिटि लिस्ट में शामिल किया जाना, जिसके परिणामस्वरूप इन व्यक्तियों पर निर्यात नियंत्रण प्रतिबंध लगाए जाएंगे।

वित्त विभाग द्वारा कार्यकारी आदेश 13382 के तहत ईरान के तरल प्रणोदक बैलिस्टिक मिसाइल संगठन, शहीद हिम्मत उद्योग समूह (एसएचआईजी) से संबंधित तीन व्यक्तियों और चार उपक्रमों पर प्रतिबंध लगाया जाना, और एसएचआईजी से जुड़े उन दो व्यक्तियों के मामलों को अद्यतन किया जाना जिन पर कि कार्यकारी आदेश 13382 के तहत पहले ही प्रतिबंध लगाए जा चुके हैं।

ट्रंप प्रशासन आतंकवाद और यहूदी-विरोधवाद के दुनिया के अग्रणी सरकारी प्रायोजक के खिलाफ़ ज़िम्मेदारीपूर्ण कार्रवाई करके अमेरिकियों तथा मध्य पूर्व और यूरोप के नागरिकों को सुरक्षित रख रहा है। हम तब तक अपने प्रतिबंध जारी रखेंगे और उनका विस्तार करेंगे जब तक कि ईरान अपने घातक रवैये पर केंद्रित एक व्यापक समझौते पर बातचीत के लिए तैयार नहीं हो जाता। हम ईरान के साथ कूटनीति के लिए हमेशा तैयार हैं, लेकिन ईरान को भी इसका जवाब कूटनीति से देना होगा, नकि और अधिक हिंसा, रक्तपात और परमाणु मसले पर फिरौती उगाह कर। ऐसा होने तक, अधिकतम दबाव जारी रहेगा।

Next Story
Share it