म्यांमार में सेना द्वारा तख्तापलट से क्षेत्र में हड़कम्प

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म्यांमार में सेना द्वारा तख्तापलट से क्षेत्र में हड़कम्प
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म्यांमार में जनता द्वारा चुनी हुई सरकार का तख्तापलट कर सेना द्वारा एक साल के लिए सरकार चलाने का निर्णय विश्व की लोकतान्त्रिक सरकारों को पच नहीं रहा |

आशियाँन देशो में जहा म्यांमार भी एक सदस्य है ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है |सिंगापुर के विदेश विभाग ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुये कहा की जल्द से जल्द सत्ता लोकतान्त्रिक संस्थाओ के हवाले की जाये इसी तरह से मुस्लिम भूल और दुनिया एक बड़ा लोकतान्त्रिक देश इंडोनेशिया ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है |

इंडोनेशिया मयंमार के द्वारा रोहिंग्या मुसलमानो पर की जा रही ज्यादती का विरोध करता रहा है और भरी संख्या में उसके यहाँ रोहिंग्या शरणार्थियों को अपने यहाँ जगह दे रखा है |

इसके बावजूद उसने सेना से तत्काल सत्ता को लोकतान्त्रिक ढंग से चुनी हुई सरकार को सौपने के लिए कहा है |

मलेशिया और ब्रूनेई के सरकारों ने भी इस तख्ता पलट पर सख्त रुख अपनाया है | हलाकि आशियान चार्टर में देशो में अंदरूनी मामलो में दखल नहीं देने का भी प्राविधान है पर ये मसला लोकतंत्र और उसको जीवित रखने से जुड़ा हुआ है |

इसके पहले अमेरिका और इंग्लॅण्ड की तरह से भी सख्त सन्देश दिया जा चूका है | अमेरिका ने तो सैन्य कार्रवाई तक करने की चेतावनी दे डाली है |

अब मसला सिर्फ भारत का है जो सु की और उसके सेना प्रमुख दोनों से अच्छा रिश्ता रखता था | अब भारत को ये भी देखना है की वो सेना को चीन के पाले में भी जाने से रोके |

वैश्विक रूप से चीन की दो बड़ी परियोजन एक पकिस्तान से होकर दूसरी म्यांमार से होकर जाती है | अपनी परियोजनाओं की सुरक्षा को लेकर चीन किसी भी हद तक जा सकता है | पकिस्तान को चीन ने अपना आर्थिक गुलाम बना लिया है और अब म्यांमार में अपना दाव चला है | पर म्यांमार के सेना प्रमुख चीन का गुलाम बनाना पसंद करेंगे की नहीं ये भी देखने की बात होगी |



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