बेंजामिन नेतन्याहू के बाद भारत और इसराइल का सम्बन्ध क्या करवट लेगा
युद्ध काल हो या शांति, भारत के साथ जो बिना शर्त खड़ा होता है वो दुनिया का एकमात्र यहूदी देश इसराइल है | इतिहास गवाह है की जब भी भारत को जरुरत पड़ी और...
युद्ध काल हो या शांति, भारत के साथ जो बिना शर्त खड़ा होता है वो दुनिया का एकमात्र यहूदी देश इसराइल है | इतिहास गवाह है की जब भी भारत को जरुरत पड़ी और...
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युद्ध काल हो या शांति, भारत के साथ जो बिना शर्त खड़ा होता है वो दुनिया का एकमात्र यहूदी देश इसराइल है | इतिहास गवाह है की जब भी भारत को जरुरत पड़ी और बड़े देशो या फिर उसके मित्र देशो ने भी संकट की स्थिति का फायदा उठाया पर इसराइल हमेशा अपने संसाधनों के साथ खड़ा रहा |
इसराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू एक मजबूत नेता थे जो भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हर अंतराष्ट्रीय मंच पर साथ खड़े दिखाई देते थे | हालांकि नरेंद्र मोदी ने इसराइल की यात्रा कर न सिर्फ भारत की घोषित विदेश नीति जिसमे फिलिस्तीन पहले आता था को बदल दिया बल्कि इसराइल को भी वैधता प्रदान कर दी |
अभी हाल में ही खाड़ी के कई देशो ने इसराइल के साथ अपने राजनयिक सम्बन्ध बनाये है और अपने पुराने ढर्रे से हट कर एक नए युग का सूत्रपात कर रहे है | पर हाल में ही हमास के द्वारा इसराइल पर हमला और अल अक्सा मस्जिद में प्रदर्शनकारियों पर सख्त रुख से कई देश अपने सम्बन्धो को पीछे खींचते दिखाई दे रहे है |
पर बेंजामिन नेतन्याहू ने पूरी ढृढ़ता के साथ न सिर्फ हमास के आतंकवादियों को सख्त सन्देश दिया बल्कि उनको कुचल कर विश्व को भी एक कड़ा सन्देश दिया की आतंकवाद को इसराइल किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं करेगा |
हमास के लोग अपना ठिकाना सिविल लोगो के घरो के आस पास बना लेते है जिसके कारण युद्ध में जब उनपर हमला होता है तो बड़ी संख्या में निर्दोष नागरिक मारे जाते है | पर हमास को अपने लोगो की चिंता नहीं है वो सिर्फ और सिर्फ इसराइल को नेस्तनाबूद करना चाहता है |
ऐसी स्थिति में इसराइल के संसद में सिर्फ एक वोट से सत्ता परिवर्तन से जनता भी खुश नहीं है | नेतन्याहू की पार्टी को ५९ वोट मिले और विपक्षी गठबंधन को ५६ और एक कट्टर इस्लामी पार्टी जिसके ५ वोट है अब वो निश्चित कर रहा है की सत्ता में नेतन्याहू न रहे |
नफ्ताली बेनेट (Naftali Bennett) ने रविवार को इजराल के प्रधानमंत्री (Israel PM) पद की शपथ ली. किसी समय पर स्पेशल फोर्स के कमांडो रहे बेनेट हर तरह से ताकतवर और राजनीति से लेकर बिजनेस तक में खुद को साबित करते रहे है |
हालाँकि वो बेंजामिन नेतन्याहू की जगह आये है पर वो कट्टर है और अरबो के लिए नरम रुख नहीं अपनाएंगे पर इसके बावजूद कट्टर इस्लामिक पार्टी ने उनके पक्ष में वोट कर
बेंजामिन नेतन्याहू को १२ साल बाद सत्ता से दूर कर दिया है |
नफ्ताली बेनेट का अरब और फिलिस्तीन पर क्या रुख होगा - गठबंधन के कारण सत्ता में आये उद्योगपति से नेता बने बेनेट अब अरब पार्टी और फिलिस्तीन को लेकर क्या दिशा तय करते है यो तो वक़्त बताएगा पर अगर उनको सरकार चलनी है तो उन्हें इनके प्रति नरम रुख रखना मजबूरी होगी |
अब देखना ये है की इसराइल की जनता का क्या रुख होता है और ये गठबंधन कितने दिन चलता है | अगर बेनेट अपने कड़े रुख पर कायम रहे तो ये कुछ दिनों की ही सरकार होगी पर अगर उनको सत्ता का लालच आ गया तो ये ज्यादा दिन चल सकती है भले ही इसराइल कमजोर हो जाए |
अब देखना ये है की क्या इसराइल के नए प्रधानमंत्री अपने सत्ता को चुनते है या फिर देश को |