चीन की ये तस्वीर हमे आगाह कर रही है सुधर जाओ नही तो .............

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चीन की ये तस्वीर हमे आगाह कर रही है सुधर जाओ नही तो .............

चीन में मची चारो तरफ अफरा तफरी में कुछ लोग सोशल मीडिया पर मजा ले रहे है | ये वही लोग है जिनको कल का पता नहीं पर दुसरो पर हसते है - चीन की तस्वीर विकास की उस इबारत को बयां कर रही है जिसके हम हिमायती रहे है - चारो तरफ कंक्रीट के जंगल खड़ा कर हमने अपनी तारीफ़ में करोडो पेज लिख डाले | यही नही चौबीस घंटे में बीस मंजिल का मकान खड़ा कर दिया | पर सोचा न था की चौबीस घंटे में प्रकृति हमारे साथ क्या कर सकती है | ये माजरा तो सिर्फ आगाह करना है पूरी पिक्चर अभी आनी बाकी है जिसे सी जिनपिंग और उन जैसे सैकड़ो नेता भी रोक नही पायेंगे |

मानव हमेशा से प्रकृति के विपरीत चलता रहा | विकास और विज्ञान पर इतना भरोसा की प्रकृति को भूल गया जो साक्षात उसके सामने थी | जल को बांधना , हवा को नियंत्रित करना , धरती को कुरेदना ये सब हमारे प्रिय कार्य पिछले दो सौ वर्षो की उपलब्धि में आती है पर अफ़सोस हम जिसे उपलब्धि बताते है वो हमारे विकास का टाइम बम्ब है जो अब जगह -जगह फट रहा है |

मानव सभ्यता हमेशा से नदी के किनारे थी और आवागमन के साधन नदी और समुन्द्र ही होते थे | हमने जंगलो को काटकर राश्ते बनाये और गर्व किया की हमने दुरी कम समय में तय कर ली | पर इस बात का अहसास नही था की दुरी कम करने में हमें अपने जीवन के समय को भी छोटा कर दिया | हमारे पूर्वजो ने धरती पर लाखो सालो तक बिना विकास के (जो हम कहते है ) रहे और हमें ये धरती दी | इस धरती को हमने सिर्फ दौ सौ साल के अंदर विज्ञान के चमत्कार के साथ इसे ख़त्म करने के मुहाने पर आ गये | हम अपने पूर्वजो की तरह लाखो साल तो क्या एक हजार साल भी धरती को बचा ले बड़ी बात होगी |

धरती पर अगर हमारे पूर्वजो की तरह जीना है तो हमें नदियों और तालाबो के पास लौटना पड़ेगा | हमें याताताय के वाटर वे बनाना पड़ेगा | एक्सप्रेस वे हाई वे की जगह वाटर वे को लेना पड़ेगा जो प्रकृति के सबसे निकट है |

इसके अलावा हम लोगो को आधुनिक नगरो को सुरक्षित बनाने के लिए हर गली -मोहल्ले में तालाब जैसा स्ट्रक्चर बना कर बारिश के पानी को तुरंत वहा इकठ्ठा करना और उसे पुनः पीने योग्य बनाना होगा | उसी पानी को अन्य पानी के स्रोत के साथ जोड़ कर गैस की तरह पाइप लाइन बना कर पानी को विश्व के हर भाग में ले जाना ही समाधान है |

पानी से जुड़े उद्योगों का विकास और उससे जुड़े शोध हमें इस भयानक राश्ते से दूर ले जाएगा | सारी दुनिया की सभ्यता पानी में ही डूब गयी | अगर हमें बचे रहना है तो पानी के बेहतर प्रबंधन की और ध्यान देना होगा |

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