राष्ट्रपति शी जिनपिंग का तिब्बत दौरा, अरुणाचल बॉर्डर का लिया जायजा

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राष्ट्रपति शी जिनपिंग का तिब्बत दौरा, अरुणाचल बॉर्डर का लिया जायजा
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भारत के साथ सीमा पर चल रहे तनाव के बीच चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग ने तिब्‍बत का अप्रत्‍याशित दौरा किया है। बताया जा रहा है कि वर्ष 2011 में सत्‍ता संभालने के बाद यह शी जिनपिंग का पहला तिब्‍बत दौरा है। चीन की सरकारी संवाद एजेंसी शिन्‍हुआ के मुताबिक शी जिनपिंग ने भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्‍य से सटे चीन के न्यिंगची शहर का दौरा किया जो तिब्‍बत का हिस्‍सा है। यही नहीं शी जिनपिंग ब्रह्मपुत्र नदी को भी देखने गए जिस पर चीन दुनिया का सबसे विशाल बांध बना रहा है और भारत इसका विरोध कर रहा है। बता दें कि भारत-चीन सीमा विवाद में 3,488 किलोमीटर की वास्तविक नियंत्रण रेखा शामिल है। चीनी नेता समय-समय पर तिब्बत जाते हैं। लेकिन चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख शी, हाल के वर्षों में तिब्बत के सीमावर्ती शहर का दौरा करने वाले पहले शीर्ष नेता हैं।

न्यिंगची जून में उस समय चर्चा में आया था जब चीन ने तिब्बत में अपनी पहली बुलेट ट्रेन को पूरी तरह से चालू कर दिया था। यह ट्रेन तिब्बत की प्रांतीय राजधानी ल्हासा को निंगची से जोड़ती है। इसकी डिजाइन गति 160 किमी प्रति घंटा है और यह 435.5 किमी की दूरी तय करने वाली सिंगल-लाइन इलैक्ट्रिक रेलवे पर चलती है। आपको बता दें कि तिब्बत ने चीन के साथ 17 सूत्रीय समझौते पर 23 मई, 1951 को हस्ताक्षर किए गए थे। चीन इस समझौते को "तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति" के तौर पर मनाता आ रहा है। लेकिन, इस समझौते को तिब्बत के धर्मगुरु दलाई लामा ने खारिज कर दिया था और तिब्बत को अलग देश कहा था। दलाई लामा ने कहा था कि चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी ने तिब्बत को समझौता करने के लिए मजबूर किया है और अपने वादों को तोड़ने का काम किया है। जिसके बाद 1959 में दलाई लामा को मजबूरन भारत में शरण लेनी पड़ी और अभी भी भारत के धर्मशाला से ही तिब्बत की निर्वासित सरकार चलती है।

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