विकासशील देशों में जलवायु परिवर्तन पर काम विकसित देश पर निर्भर बोले- केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव
जलवायु परिवर्तन को लेकर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के साथ एक बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व कर...
जलवायु परिवर्तन को लेकर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के साथ एक बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व कर...
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जलवायु परिवर्तन को लेकर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के साथ एक बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने विकसित देशों से 2009 में किए गए प्रति वर्ष 100 अरब अमेरिकी डॉलर के अपने वादे को पूरा करने का आह्वान किया।
इस दौरान भारत में संयुक्त राष्ट्र द्वारा बुलाई गई एक बैठक में बताया कि विकास कर रहे देशों में जलवायु परिवर्तन पर काम करने की महत्वपूर्ण योजना पेरिस समझौते के तहत विकसित देशों की मदद पर निर्भर है।
उन्होंने कहा कि 'कॉप 26' को कम लागत पर हरित प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण तथा दायरा, पैमाना एवं गति में जलवायु वित्त पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने आगामी 'सीओपी26' सहित जलवायु परिवर्तन संबंधित किसी भी बातचीत में सफल परिणाम के लिए विकसित देशों के रुख को महत्वपूर्ण करार दिया |
पर्यावरण मंत्रालय ने कहा कि बैठक में, जलवायु संकट से मुकाबला करने के लिए आवश्यक वित्त, अनुकूलन आदि पर महत्वपूर्ण जलवायु कार्रवाई पर चर्चा की गयी। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने नवंबर में ग्लासगो में होने वाले 26वें 'कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज' (सीओपी26) से पहले कुछ नेताओं की बैठक बुलाई थी।
दबते विकासशील देश : पर्यावरण में हो रहे परिवर्तन में कमजोर देशो को ज्यादा दिक्कत आ रही है | यूरोप और अमेरिका में लगभग सभी देश अपने विकास के शीर्ष पर है और पृथ्वी को प्रदूषित करने में इनकी भूमिका प्रमुख है |
विकास और पर्यावरण का संकट : इन विकासशील देशो को विश्व की संस्थाओ के माध्यम से दबाव बनवा कर विकसित देश अपना मतलब हल करते है | सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन वाला देश अमेरिका और पूरा यूरोप , चीन है पर दबाव भारत और अन्य देशो पर डाला जाता है |
गरीब और गरीब और अमीर और अमीर : जहाँ एक तरफ विकसित देश अपनी तकनीकी की सहायता से और अमीर होते जा रहे है वही गरीब देश इन परिवर्तनों का दंश झेल रहे है | उनके पास अपनी जनता को खिलाने के लिए न तो भोजन है और न ही सांस लेने के लिए साफ़ हवा |
इस दौरान पर्यावरण मंत्रालय में टिप्पणी करते हुए कहा कि जलवायु संकट से मुकाबला करने के लिए आवश्यक वित्त, अनुकूलन आदि पर महत्वपूर्ण जलवायु कार्रवाई पर चर्चा की गयी। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, 2030 तक 450 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा सहित भारत द्वारा जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में किए जा रहे विभिन्न कार्यों की चर्चा की।
नेहा शाह