प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार को बड़ा झटका,28 मार्च तक हासिल करना होगा विश्वास मत। सहयोगी पार्टी RPP का समर्थन वापस लेने का फैसला

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प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार को बड़ा झटका,28 मार्च तक हासिल करना होगा विश्वास मत। सहयोगी पार्टी RPP का समर्थन वापस लेने का फैसला
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नेपाल में सियासी उठापटक जारी है। प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल को 28 मार्च तक संसद के निचले सदन- प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत हासिल करना होगा। राष्ट्रीय प्रजातान्त्रिक पार्टी (राप्रपा) के प्रमुख और प्रचंड सरकार में उपप्रधानमंत्री राजेंद्र लिंगदेन के तीन मंत्रियों के साथ इस्तीफा देने के साथ ही सरकार से समर्थन वापस लेने का एलान किया।ऐसे में माना जा रहा है कि राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार को स्पष्ट बहुमत मिलता दिख रहा है, जो इसका भी संकेत है कि सरकार के पास अब जरूरी समर्थन नहीं बचा है। बहरहाल, नेपाल के संविधान के अनुच्छेद 100 के खंड-2 के मुताबिक, प्रधानमंत्री के दल या गठबंधन के विभाजित होने के 30 दिन के भीतर विश्वासमत हासिल करना होता है। ऐसे में सदन में सदस्यों की संख्या के लिहाज से नेपाल में सबसे बड़े राजनीतिक दल नेपाली कांग्रेस को जल्द नई सरकार गठित करने का मौका मिल सकता है, क्योंकि आरपीपी के अलावा भी प्रचंड के कई गठबंधन साथी उनसे संतुष्ट नहीं हैं।

सत्तारूढ़ गठबंधन में दरार के बाद घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है। प्रधानमंत्री प्रचंड ने रविवार को अचानक विदेश मंत्री डॉ. विमला पौडेल का जिनेवा दौरा रद्द कर दिया। उन्हें एयरपोर्ट से लौटने के लिए कहा गया। विदेश मंत्री डॉ. पौडेल ने दोपहर ही पत्रकार वार्ता में जिनेवा में यूएन के मानवाधिकार काउंसिल के सम्मेलन में जाने की बात कही थी। उन्हें मुख्य सचिव ने फोन कर उनके दौरे को रद्द किये जाने की जानकारी दी। वहीं, विदेश मंत्री ने इस पर आश्चर्य जताते हुए इसे खुद का अपमान बताया है।बताते चलें कि नेपाल के प्रधानमंत्री ने गठबंधन के उम्मीदवार के बजाय विपक्षी नेपाली कांग्रेस के उम्मीदवार रामचंद्र पौडयाल को समर्थन देने का ऐलान किया है। ऐसे में राष्ट्रपति चुनाव ने सत्तारूढ़ गठबंधन के भविष्य पर गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है। नेपाल में राष्ट्रपति के पद का कार्यकाल चुनाव की तारीख से पांच वर्ष का होगा और एक व्यक्ति को केवल दो कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति पद के लिए चुना जा सकता है।

रिपोर्ट में उनके बयान के हवाले से कहा गया, "हमने सरकार को दिए गए समर्थन को वापस लेने का फैसला किया है, और आज से सरकार छोड़ दी है। पार्टी प्रांतीय सरकारों के मामले में भी यही विश्वास रखती है, इसलिए सरकारों को दिए गए समर्थन को वापस लेने का फैसला किया है।"आरपीपी के प्रवक्ता मोहन कुमार श्रेष्ठ की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, राजनीतिक समीकरणों में अचानक आए बदलाव और सत्तारूढ़ सरकार के भीतर सहयोग को देखते हुए आरपीपी ने सरकार को छोड़ने का फैसला किया है।

प्रियांशु

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