अमेरिका ने भारत के साथ रक्षा संबंधों को बेहद मजबूत बताया
अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने शनिवार को भारत से साथ बढ़ते रक्षा संबंधों को रेखांकित किया और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों की कुछ साझा...
अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने शनिवार को भारत से साथ बढ़ते रक्षा संबंधों को रेखांकित किया और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों की कुछ साझा...
अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने शनिवार को भारत से साथ बढ़ते रक्षा संबंधों को रेखांकित किया और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों की कुछ साझा उपलब्धियों का जिक्र किया।
सिंगापुर में शांगरी-ला वार्ता को संबोधित करते हुए ऑस्टिन ने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र के समान विचारधारा वाले देशों ने अपने रिश्तों को मजबूत किया है और क्षेत्र के लोगों के लिए वास्तविक जीवन में परिणाम दिए हैं।
ऑस्टिन ने जापान, फिलिपींस, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ रक्षा संबंधों का जिक्र किया। भारत के बारे में उन्होंने कहा, भारत से साथ लड़ाकू विमानों के जेट इंजन और बख्तरबंद वाहनों के सह-निर्माण में हमने ऐतिहासिक प्रगति की है।
बाद में इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज में सवालों के जवाब देते हुए ऑस्टिन ने क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ रक्षा संबंधों में महत्वपूर्ण प्रगति के बारे में बात की। भारत को फ्लाईव्हील बताते हुए उन्होंने कहा कि देश रफ्तार पकड़ेगा जिससे सभी को फायदा होगा।
ऑस्टिन ने कहा, मुझे लगता है कि एक अच्छा उदाहरण भारत के साथ हमारा संबंध है जो अब तक के इतिहास में सबसे बेहतर स्तर पर है। यह बेहद मजबूत है।
अमेरिकी रक्षा मंत्री ने कहा, कई साल पहले हमने भारत में भारत के लिए लड़ाकू विमानों के जेट इंजन बनाने के लिए मंजूरी के साथ शुरुआत की थी। मैं लड़ाकू विमानों के लिए जेट इंजन बनाने वाली एक कंपनी के निदेशक मंडल में रहा हूं और मुझे पता था कि यह कितना मुश्किल होने वाला था। हम आशान्वित थे, लेकिन हमारे मन में संदेह था कि यह अंतिम मुकाम तक पहुंच सकेगा या नहीं। हमने यह कर दिखाया। यह वाकई हो रहा है।
पिछले साल ऑस्टिन की भारत यात्रा के दौरान अमेरिका और भारत ने रक्षा उद्योग में सहयोग के लिए नये रोडमैप तय किए, जिससे कई क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी में सहयोग और सह-उत्पादन में तेजी आयेगी।
अमेरिका ने इसे दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग में बदलावकारी प्रगति बताया था। पेंटागन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था, कुछ सबसे नवाचारी श्रमबल और कंपनियों वाले दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के साथ रणनीतिक प्रौद्योगिकियों पर और करीब से काम करना, तथा हम सुरक्षा के लिए कैसे उनका इस्तेमाल कर सकते हैं, यह हमारे संबंधों में स्वाभाविक अगला कदम है।