धर्म के आधार पर किसी की भी नियुक्ति का विरोध करना जायज नहीं

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धर्म के आधार पर किसी की भी नियुक्ति का विरोध करना जायज नहीं
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बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में संस्कृत विभाग में फिरोज खान की नियुक्ति का मसला लोग लगातार उठा रहे हैं पर अगर उनकी नियुक्ति नियमों के तहत हुई है तो उस पर सवाल उठाना ठीक नहीं है। हमारा धर्म यह कहीं नहीं कहता की धर्म या जाति के आधार पर शिक्षक की नियुक्ति की जाए और अगर किसी शिक्षक की नियुक्ति संस्कृत पढ़ाने के लिए हुई है और वह पूरी तरह योग्य है तो इसका स्वागत किया जाना चाहिए ना कि विरोध।

फिरोज खान की सलेक्शन कमेटी में जहां तक उम्मीद है वह लोग रहे होंगे जो संस्कृत के विद्वान हैं और हिंदू भी रहे होंगे।अगर सिलेक्शन कमेटी के लोगों और विश्वविद्यालय प्रशासन को उनकी नियुक्ति में किसी तरह का कोई खामी नहीं दिखाई दे रहा है इस तरह का विरोध प्रदर्शन भारत में जायज नहीं है और खासकर काशी में इस तरह की बातें उठनी ही नहीं चाहिए।

काशी में इतिहास रहा है कि विभिन्न धर्म संप्रदाय के लोग यहां आते रहे हैं और भारतीय संस्कृति की शिक्षा दीक्षा लेकर या तो अपने देश में जाकर उसका प्रचार प्रसार करते थे या फिर यहीं के होकर रह जाते थे।अगर फिरोज खान ने संस्कृत की पढ़ाई की है तो उसकी प्रशंसा की जानी चाहिए और एक मुसलमान होते हुए भी जिस तरह से सनातनी परंपरा को वह आगे बढ़ा रहे हैं उसका तहे दिल से स्वागत किया जाना चाहिए ना कि विरोध।

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