झारखण्ड में बीजेपी की रणनीतिक भूल

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झारखण्ड में बीजेपी की रणनीतिक भूल

झारखण्ड में बीजेपी को लगा झटका उसको इस बात का एहसास दिलाने के लिए काफी है कि जो गलती महाराष्ट्र में की वही गलती यहाँ भी हो गयी और ये रिजल्ट से स्पष्ट दिखाई दे रहा है | अभीतक भाजपा और जेएमएम ने 9 - 9 सीटो पर विजय दर्ज कर ली है और वो क्रमश २१ और १५ सीटो पर आगे चल रहे है |

कांग्रेस के खाते में चार सीटे आ चुकि है और ग्यारह पर उसने बढ़त बना रखी है | इसी तरह ए जे एस यू ने भी एक सीट जीत ली है और एक पर बढ़त बनायीं हुई है | वही जनता दल यूनाइटेड और लोजपा का खाता भी नहीं खुला है | राजेडी एक और जेवीएम तीन पर आगे है |

कुल मिला कर भारतीय जनता पार्टी धारा तीन सौ सत्तर हो या कैब उसी में उलझी रह गयी और उसके स्टेट के लीडर उनके मुख्य वक्ताओ तक राज्य के वोटरों का मन ही नही पंहुचा पाए | अब ये देखने की बात होगी की हिंसा के पहले और बाद में क्या कोई फर्क पड़ा है जिसकी संभावना कम ही लगती है |

अमित शाह के गृह मंत्री बनने के बाद से जो भाजपा के दुसरे नेता है वो उस तरह की सोच और कार्य प्रणाली से काफी दूर है | अमित शाह के साथ कार्य कर रहे जे पी नड्डा का तो भगवान ही रक्षा करे | उन्हें एक तो विरासत में अमित शाह की गद्द्दी मिलनी है और वो भी त्रिशंकु की तरह लटकी है | न तो अध्यक्षी मिल रही है न ही जा रही है | अमित शाह इतने बड़े काम में लगे है कि कई यात्रा और चुनावी रैली करने के बाद भी उनसे वही की फिजा क्यों नही महसूस की जा सकी ये बड़ा प्रश्न है |

कई सारे ऐसे मुद्दे है जो एक -एक कर सामने आते गए और वो शायद हार का कारण बन गए | पहला सबसे बड़ा कारण गैर जनजाति का मुख्य मंत्री का चेहरा होना हेमंत सोरेन को फायदा पंहुचा गया | अगर याद हो तो भाजपा ने २०१४ का चुनाव रघुबर दास के चेहरे पर नहीं लड़ा था | यही अमित शाह का अध्यक्ष न होना खल गया | जे पी नड्डा बदलाव की फिजा को पकड़ नहीं पाए |

रघुबर दास के करीबी भाजपा नेता का पार्टी विरोधी गतिविधि में लग जाना और पुरे चुनाव में भाजपा के खिलाफ प्रचार भी कही न कही नेतृत्व की कमी को दिखता है | समय रहते उसे ठीक कर चुनाव की हवा बदली जा सकती थी | वही पार्टी के बड़े नेताओ को स्थानीय मुद्दों की कोई जानकारी ही वहा की यूनिट नहीं दे पायी और प्रायः बड़े नेता राष्ट्रीय मुद्दों में ही उलझे रहे |

रघुबर दास के पास पिछले पांच साल में कोई ऐसा काम नही दिखाई दे रहा था जिस पर वो वोट मांग सके | जनता उनके चुनावी वादों को पूरा न कर पाने से भी खफा थी | आज राज्य की जनता उनसे रोजगार और अच्छे भविष्य की उम्मीद कर रही है जिसको दे पाने और उसका रोड मैप भी न बता पाने के कारण झारखण्ड की सत्ता में भाजपा हिट विकेट हो गयी | जहाँ एक ओर पैसठ पार का नारा था वहा पचीस पार जाना भी अब मुश्किल लग रहा है |

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