मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा- भोपाल गैस त्रासदी की बने स्मारक
आज ही के दिन 3 दिसंबर 1984 में भोपाल में एक ऐसा हादसा हुआ जिसे भोपाल आज तक नहीं भुला पा रहा है। 3 दिसंबर को हुआ यह हादसा इतिहास में सबसे बड़ा औद्योगिक...
आज ही के दिन 3 दिसंबर 1984 में भोपाल में एक ऐसा हादसा हुआ जिसे भोपाल आज तक नहीं भुला पा रहा है। 3 दिसंबर को हुआ यह हादसा इतिहास में सबसे बड़ा औद्योगिक...
आज ही के दिन 3 दिसंबर 1984 में भोपाल में एक ऐसा हादसा हुआ जिसे भोपाल आज तक नहीं भुला पा रहा है। 3 दिसंबर को हुआ यह हादसा इतिहास में सबसे बड़ा औद्योगिक हादसा माना गया है। यूनियन कार्बाइड के कारखाने में 610 नंबर के टैंक में खतरनाक मिथाइल आइसोसाईनाइट रखा हुआ था। लापरवाही की वजह से टैंक में पानी पहुंच गया। जिससे मिथाइल का तापमान 200 डिग्री तक पहुंच गया। धमाके के साथ टैंक का सेफ्टी बोल्ट उड़ गया। जिससे गैस का रिसाव बाहर आने लगा और 42 टन गैस से कम से कम 4000 लोगों की मौतें हो गई।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस गैस से प्रभावित लोगों की संख्या 5 लाख 58 हजार के करीब में थी। जिसमें से करीब 4 लोग ऐसे थे जो गैस के प्रभाव के कारण डिसएबल हो गए।
तथा वहां के वासियों को गैस से जुड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। कई सारे लोग ऐसे भी हैं जो अपंग हो गए तथा इस त्रासदी ने उनका पूरा जीवन समाप्त कर दिया।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट करके कहां कि "हमें भोपाल गैस त्रासदी की स्मारक बनानी चाहिए जिससे कि आगे लोगों को सबक मिल सके तथा फिर कोई शहर भोपाल ना बने। हम असुरक्षा से कोई चीज ना बनाएं जो इंसानों पर भारी पड़ जाए। जैसे हिरोशिमा और नागासाकी परमाणु बम का उपयोग ना हो यह सीख देते हैं।"
साथ ही उन्होंने कहा कि इस त्रासदी से प्रभावित लोगों की पेंशन जो कि हजार रुपए थी उसको भी बंद कर दिया गया था शिवराज सरकार द्वारा अब वह पेंशन फिर से उन लोगों को दी जाएगी जिससे त्रासदी का दर्द कम हो सके।
साथ ही उन्होंने कहा कि भोपाल गैस त्रासदी कि स्मारक लोगों को सबक देगी।
नेहा शाह