अमित शाह से मिलने के बाद किसानों ने कहा- कानून को रद्द किया जाए बीच का कोई रास्ता नहीं

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अमित शाह से मिलने के बाद किसानों ने कहा- कानून को रद्द किया जाए बीच का कोई रास्ता नहीं


देश की राजधानी दिल्ली में आज करीब 13 दिन होने को है जब केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित तीन कृषि कानून के खिलाफ पंजाब और हरियाणा समेत देश के अधिकतर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं।

सरकार द्वारा कई दौर की बातचीत के बाद भी कोई हल नहीं निकल पा रहा है।

आपको बता दें कि पांचवें दौर की बैठक से पहले किसानों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान किया था। बीते दिन मंगलवार यानी 8 दिसंबर को भारत बंद का असर देश के कई हिस्सों में देखा जाने लगा। उसी बीच अमित शाह ने शाम 7 भारत बंद के दौरान किसानों की यूनियन को बातचीत के लिए बुलाया।

अमित शाह के इस आमंत्रण को अहम माना जा रहा था।

केंद्रीय गृह मंत्री के घर देर रात तक चली बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा कि सरकार कृषि कानून रद्द करने के लिए नहीं है तैयार। जिसके बाद उन्होंने प्रेस से वार्ता करते हुए कहा कि वे बुधवार को छठे दौर की बैठक में अब शामिल नहीं होंगे।

गृह मंत्री अमित शाह के साथ हुई बैठक के बाद भारतीय किसान सभा के नेता किसान हन्नान मोल्लाह ने बताया कि " अमित शाह ने हमसे कहा कि सरकार जो भी संशोधन करेगी ।वह उससे लिखित में देगी।" और हम तीनों कानूनों को निरस्त करना चाहते हैं।

इसी के साथ हन्नान मोल्लाह ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक में शामिल हुए किसान यूनियन के भी यही राय है कि तीनों कृषि कानूनों को रद्द किया जाए।

कृषि कानून के सुधार को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसानों का आज तेरवा दिन है जब वह दिल्ली की सड़कों पर बैठे हैं। छठे दौर की वार्ता से ठीक 1 दिन पहले भारत बंद की शाम को अमित शाह ने 13 किसान यूनियन के नेताओं को चर्चा के लिए आमंत्रित किया। इसके बाद भी कोई हल नहीं निकल पाया।

पाटीदार की बैठक के दौरान जब केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों की यूनियन से वरिष्ठ नागरिक और बच्चों को घर भेजने की अपील की तब उन्होंने कहा कि यदि सरकार जानती है कि हम कुछ और दिन सड़कों पर रहे तो इससे हमें कोई परेशानी नहीं होगी।

तथा अपनी मांगों को रखते हुए उन्होंने किसान कानून को रद्द करने के लिए विशेष संसद सत्र की मांग की।

सरकार ने आश्वासन दिया कि किसानों का न्यूनतम मूल्य पहले से अधिक बढ़कर ही आएगा और एमएसपी को खत्म नहीं किया जाएगा। सरकार इसे लिखित तौर पर देने के लिए भी मंजूर है।

हम तो किसान भी अपनी मांगों से पलट गया उन्होंने कृषि कानून को रद्द करने की मांग की है। आपको बता दें कि किसान आंदोलन मे आम आदमी पार्टी व कांग्रेस सहित 19 राजनीतिक पार्टियों ने समर्थन किया है।

गृह मंत्री अमित शाह से बातचीत के बाद किसान यूनियन ने छठे दौर की बातचीत में शामिल ना होने का निर्णय लिया।

नेहा शाह

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