लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति ने फ्री प्रेस जर्नल ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित द बॉम्बे डिबेट में जज के रूप में लिया भाग....

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लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति ने फ्री प्रेस जर्नल ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित द बॉम्बे डिबेट में जज के रूप में लिया भाग....
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लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने फ्री प्रेस जर्नल ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित द बॉम्बे डिबेट में जज के रूप में भाग लिया। डिबेट में प्रोफेसर आलोक कुमार राय के साथ टाटा पावर के एम डी और सीईओ डॉ प्रवीर सिन्हा, टाटा स्काई के एम डी और सीईओ हरित नागपाल, और ओगिल्वी के पूर्व रीजनल क्रिएटिव डायरेक्टर गीता राव भी जज की भूमिका में मौजूद थे।

डिबेट में तीस्ता सेन, रीजनल क्रिएटिव डायरेक्टर, वंडरलैंड थॉमसन, साउथ एशिया, पत्रकार स्मृति कोपिकर, महाराष्ट्र कोविड टास्क फोर्स के सदस्य डॉ शशांक जोशी, मुंबई विश्वविद्यालय के इकोनॉमिक्स के रिटायर्ड प्रो नीरज हाटेकर, अभिनेत्री अनुप्रिया गोयनका और महाराष्ट्र सरकार के पूर्व प्रमुख सचिव आईएएस महेश जगड़े पैनलिस्ट के रूप में मौजुद थे।





सभी वक्ताओं ने अपने अपने वक्तव्य रखें। अंत में विचारकों की भूमिका में रहे प्रोफेसर आलोक कुमार राय व अन्य जज ने अपनी टिप्पणियां व्यक्त की। प्रो आलोक कुमार राय ने सभी व्याख्यानों को संक्षिप्त करते हुए कहा की जागरूकता, शिक्षा, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक कल्याण और मास्क पहनने की आवश्यकता कोविड-19 ने हमें इन निवारक प्रणालियों पर ध्यान केंद्रित करना सिखाया है। उन्होंने कहा कि आज ग्रामीण अंचलों में भी यह जागरूकता धीरे-धीरे देखने को मिल रही है, परंतु और भी अधिक ध्यान हमारे देश के गांव में देने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि कोविड-19 से जो सीख मानवता ने ली है। सभी जजेस ने अपनी अपनी टिप्पणी दी। टाटा स्काई के एमडी और सीईओ हरित नागपाल ने कहा की ऐसा प्रतीत होता है जैसे डिबेट के टॉपिक कोविड-19 ने हमें कुछ नहीं सिखाया, के खिलाफ किसी भी वक्ता ने नहीं बोला। उन्होंने कहा कि यह स्वयं आज हमारे देश में कोविड-19 की स्थिति का प्रतिबिंब प्रतीत होता है। डिबेट को समाप्त करते हुए प्रो आलोक राय ने कहा कोविड-19 ने हमें सिखाया जरूर है, परंतु क्या वह सीख पर्याप्त है?

अराधना मौर्या

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