जानिए भारत में क्यों मनाया जाता है हिंदी पत्रकारिता दिवस, आजादी में अखबारों की अहम भूमिका.....

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जानिए भारत में क्यों मनाया जाता है हिंदी पत्रकारिता दिवस, आजादी में अखबारों की अहम भूमिका.....



भारत में आज हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाया जा रहा है। इस महामारी किस समय में पत्रकारों की भूमिका को शब्दों में बयां करना आसान नहीं होगा। ऐसे में पत्रकारिता जगत के इतिहास को जानना भी बेहद जरूरी हो जाता है क्योंकि आज पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ बनकर देश की सेवा कर रही है। यदि भारत में पहले हिंदी अखबार की बात करें तो इसका उजागर होना बेहद कठिन हो चुका था क्योंकि अंग्रेजों के शासन काल में पत्रकारिता स्वतंत्र रूप से कुछ भी लिखने में सक्षम थी।

अंग्रेजों के शासन काल के दौरान राजा राम मोहन रॉय को पत्रकारिता का पिता कहा जाता है। यदि भारत में पहले प्रकाशित हुए अखबार की बात करें तो पहला अखबार पत्र बंगाल गजट अथवा हिकीज गजट था। जिसे एक अंग्रेज जेम्स हगस्ट्न हीकीज ने 1780 में निकाला था। आपको बता दें कि इस अखबार की शुरुआत सरकारी सहायता के बिना असंभव थी और पत्रकारों को स्वतंत्रता भी नहीं थी।

अंग्रेजी अखबार के बाद देश में विभिन्न भाषाई अखबार का प्रकाशन निरंतर होने लगा। जिसके बाद विपरीत परिस्थितियों में अंग्रेजी फारसी और बांग्ला के बाद पहला हिंदी समाचार पत्र उदंड मार्तंड देश को प्राप्त हुआ और सर्वप्रथम इससे कोलकाता में पंडित जुगल किशोर शुक्ल द्वारा प्रकाशित किया गया। आपको बता दें कि तत्कालीन संयुक्त प्रांत यानी उत्तर प्रदेश के कानपुर निवासी शुक्ल ने इसका प्रकाशन 23 मई 1826 को प्रारंभ किया।

इतना ही नहीं भारत को प्राप्त पहले हिंदी अखबार उदन्त मार्तण्ड मैं कई प्रकार के संशोधन भी किए गए जिसके बाद 79 अंक निकल सके और डेढ़ साल बाद 1827 में इस पेपर को बंद करना पड़ा। आपको बता दें कि अधिक छोटी आयु होने के बाद भी देश के विभिन्न भाषाओं में पत्रकारिता के जरिए अखबारों ने स्वतंत्रता दिलाने में एक अहम भूमिका निभाई है। क्योंकि एकता के जरिए और बड़े महानायकओं के जरिए हिंदी अखबारों ने अंग्रेजों के शोषण के खिलाफ लिखना और पत्रकारों ने बोलना शुरू किया जिससे देश में एक आंदोलन का समारोह तैयार किया गया।यही कारण है कि राजा राम मोहन रॉय को हिंदी पत्रकारिता का पिता भी कहा जाता है।

नेहा शाह

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