एक बार फिर तेज हुआ किसान आंदोलन तमिलनाडु में किया किसानों ने विरोध, मुख्यमंत्री ने की अपील...
वैश्विक महामारी कोरोनावायरस की दूसरी लहर से पहले किसानों ने केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन नए कृषि नियमों का जबरदस्त प्रदर्शन किया लाल किले पर हुई...
वैश्विक महामारी कोरोनावायरस की दूसरी लहर से पहले किसानों ने केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन नए कृषि नियमों का जबरदस्त प्रदर्शन किया लाल किले पर हुई...
वैश्विक महामारी कोरोनावायरस की दूसरी लहर से पहले किसानों ने केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन नए कृषि नियमों का जबरदस्त प्रदर्शन किया लाल किले पर हुई हिंसा के बाद प्रदर्शन की गति धीमी पड़ी परंतु रुका नहीं। अब जहां देश में एक तरफ कोरोनावायरस से संक्रमितों की रफ्तार कम दर्ज की गई है वहीं दूसरी तरफ एक बार फिर किसान आंदोलन की आवाज तेजी से उठने लगी हैं।
तमिलनाडु स्थित किसान संगठन विवासायिगल संगम के सदस्यों ने एक साल पहले केंद्र द्वारा बनाये गए तीन कृषि कानूनों की प्रतियां शनिवार को जलाते हुए उन्हें रद्द करने की मांग की. राज्य के विभिन्न हिस्सों में किसानों ने चेहरे पर मास्क पहनकर और सामाजिक दूरी का पालन करते हुए छोटे-छोटे समूहों में एकत्रित होकर प्रदर्शन किया।
गौरतलब है कि संपूर्ण देश में किसानों ने साल भर लंबे प्रदर्शन और नई दिल्ली में आंदोलन के दौरान उनके बलिदानों को याद करते हुए संगम प्रदेश महासचिव पी षडमुगम ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन से विधानसभा में इन कृषि कानूनों के खिलाफ एक प्रस्ताव पास करने के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया।
इस दौरान उन्होंने कहा कि हमारे मुख्यमंत्री ने कृषक समुदाय के कल्याण के लिए तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए हाल ही में केंद्र सरकार को पत्र लिखा था। स्टालिन को जल्द ही विधानसभा में इन कानूनों के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित करना चाहिए। चेन्नई के समीप तम्बरम में षडमुगम के नेतृत्व में 15 लोगों ने कानूनों की प्रतियां जलाई। इसके तुरंत बाद पुलिसकर्मियों ने पानी डालकर आग बुझाई।
इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि उनका प्रदर्शन पांच जून को हो रहा है जिस दिन 2020 में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने अध्यादेश लागू किए थे। उन्होंने बताया कि तिरुवरुर, तंजावुर और नागपत्तिनम जैसे कुछ जिलों में भाकपा और माकपा ने उन्हें समर्थन दिया है।
नेहा शाह