पहले कला राजा की चाकरी करती थी अब जनता के बीच आ गयी है: प्रो गोविन्द जी पांडेय

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पहले कला राजा की चाकरी करती थी अब जनता के बीच आ गयी है: प्रो गोविन्द जी पांडेय
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[9:58 PM, 6/27/2021] Abhinav Kala Manch: राष्ट्रीय कला मंच,अवध प्रान्त के तत्वावधान में रविवार को "प्राचीन एवं आधुनिक कला का अंतः सम्बन्ध,डिजिटल दुनिया में कला के बदलते आयाम।" विषयक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया।इस वेबिनार में देश के विख्यात कलाकारों समेत सैकड़ों कलाप्रेमियों ने प्रतिभाग किया।

कार्यक्रम की शुरुआत लखनऊ विश्वविद्यालय की छात्रा आभा ओझा ने वाणी वंदना से की।राष्ट्रीय कला मंच,अवध प्रान्त के प्रांत संयोजक अभिनव दीप ने राष्ट्रीय संयोजक ध्रुव कांडपाल एवं अन्य अतिथियों का स्वागत किया।

ततपश्चात आमंत्रित वक्ताओं ने विषय पर अपने विचार रखे एवं प्रश्नों के उत्तर दिए।बीबीएयू लखनऊ के मीडिया एवं संचार विद्यापीठ के संकायाध्यक्ष प्रो.गोविंद पांडेय ने कहा ,"कला सभ्यता का अभिन्न अंग है।कला का प्रचलन प्राचीन काल से ही है।कला ने समय-समय पर समाज को जाग्रत करने का कार्य किया।डिजिटल युग में कलाकारों को प्रोत्साहन मिला है।" उन्होंने कला के विकास पर बात करते हुए बताया की पहले कला राजा की चाकरी करती थी अब जनता के बीच आ गयी है | भारत में कला के विकास में मुग़ल सम्राट औरंगजेब ने व्यवधान डाला और फिर अंग्रेजो ने हम पर मैकाले की पद्धति | भारतीयों में हीन भावना डाल कर उन्हें अपने कला और संस्कार से दूर कर दिया |

प्रसिद्ध मूर्तिकार एवं डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में ललित कला विभाग के अध्यक्ष प्रो.पी राजीवनयन ने अपने विचार रखते हुए कहा "कला मानवीय संवेदनाओं की अभिव्यक्ति है।कला समझने का विषय नहीं है।कला स्वयं में एक भाषा है।प्रत्येक व्यक्ति कला को अपने भाव एवं मनस्थिति अनुसार देखता है।"

कला इतिहासकार एवं चित्रकार राकेश गोस्वामी ने विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला और कलाकार की भावना को समझने की आवश्यकता पर बल दिया।

वेबिनार को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय कला मंच के राष्ट्रीय संयोजक ध्रुव कांडपाल ने कहा "इस कार्यक्रम से कलाप्रेमियों को कला के विषय में और जानने समझने का अवसर मिला।कला सभ्यता की पहचान होती है।"

कार्यक्रम का संचालन शक्ति प्रताप सिंह ने किया।सभी अतिथियों ने कार्यक्रम की सराहना की।इस अवसर पर सैकड़ो कलाप्रेमी उपस्थित रहे।

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