जातिगत जनगणना का भूत फिर बिहार पर सवार , जाति से ऊपर नहीं उठेगी राजनीति
बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने काम काज से तौबा करते हुए पुनः सत्ता में आने का नया रास्ता खोजा है जो जाति की जनगणना से होकर जाता रहा है | हालांकि केंद्र...


बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने काम काज से तौबा करते हुए पुनः सत्ता में आने का नया रास्ता खोजा है जो जाति की जनगणना से होकर जाता रहा है | हालांकि केंद्र...
बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने काम काज से तौबा करते हुए पुनः सत्ता में आने का नया रास्ता खोजा है जो जाति की जनगणना से होकर जाता रहा है | हालांकि केंद्र की सरकार ने इस तरह की जनगणना से इंकार किया है पर उनके ही साथी और जदयू नेता और बिहार के मुख्य मंत्री जो सुशासन बाबू के नाम से जाने जाते है उनको अब जाति की याद आ गयी |
शायद पिछले पंद्रह साल से सरकार चला रहे नीतीश कुमार को अब राजनीति में बने रहने के लिए इस सर्वदलीय बैठक का सहारा मिलेगा | वैसे कहा जाता है की नितीश कुमार को समझना इतना आसान नहीं है | वो कभी लालू के घर निकल लेते है तो कब मोदी के साथ बैठ ले ये पता ही नहीं चलता है |
उनके धुर विरोधी चिराग पासवान और वीआईपी पार्टी के नेता मुकेश साहनी सर्वदलीय बैठक में नहीं बुलाये जाने पर काफी नाराज दिखे | हालांकि वो भी इस जनगणना के पक्षधर है | जाति जिसे ख़त्म करने के लिए बाबासाहेब आंबेडकर ने प्रयास किया और अन्निहिलेसन ऑफ़ कॉस्ट की बात की वही उनके समर्थक भी आज जातियों को और ज्यादा मजबूत बना कर वोट बैंक की राजनीति करना चाहते है |