स्वामी जगद्गुरु रामभद्राचार्य अरुण गोविल को गले से लगाकर रोने लगे, बोले- मुझे राम चाहिए…
जगद्गुरु रामभद्राचार्य के एक सत्संग में अरुण गोविल पहुंचे थे | यहां अरुण गोविल आते हैं और रामभद्राचार्य के पैर छूते हैं. उन्होंने अरुण गोविल को गले...
जगद्गुरु रामभद्राचार्य के एक सत्संग में अरुण गोविल पहुंचे थे | यहां अरुण गोविल आते हैं और रामभद्राचार्य के पैर छूते हैं. उन्होंने अरुण गोविल को गले...
जगद्गुरु रामभद्राचार्य के एक सत्संग में अरुण गोविल पहुंचे थे | यहां अरुण गोविल आते हैं और रामभद्राचार्य के पैर छूते हैं. उन्होंने अरुण गोविल को गले से लगाए रखा. रामभद्राचार्य इस दौरान रोने लगे, वे काफी भावुक नजर आए |
अरुण गोविल-रामभद्राचार्य जी महाराज ये नजारा ऐसा लगा मानो अरुण गोविल से मिलने के बाद जगद्गुरु रामभद्राचार्य को उनके भगवान राम मिल गए हों. रामभद्राचार्य जी महाराज कहते है की तुम अभिनय करते थे. इन बंद आंखों से मुझे राम जी का स्वरुप दिखता था. इनमें राम का आवेश होता था. जब तक भारत में रामत्व नहीं होगा तब तक भारत के कल्याण की कल्पना नहीं की जा सकती. मुझे बस धर्म काम और कौशल्या कुमार राम चाहिए |
जगद्गुरु ने अरुण को संवाद सुनाने को कहा. एक्टर ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य की इस बात को तुरंत माना और राम का परिसंवाद सुनाया. इसके जवाब में अरुण गोविल ने कहा कि बस आपकी कृपा है
[मनीष सिंह]