भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केन्द्र (IOTWS) की स्थापना ने भारत को आपातकालीन स्थितियों में तेज प्रतिक्रिया देने में सक्षम बनाया

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नई दिल्ली, 26 दिसंबर:

आज से 20 साल पहले, 26 दिसंबर 2004 को हिंद महासागर में आई भयानक सुनामी ने तटीय देशों में तबाही मचाई थी। इस आपदा में लगभग 2.28 लाख लोगों की जान चली गई थी और कई देशों में भारी नुकसान हुआ था। भारत भी इस त्रासदी से अछूता नहीं रहा, खासकर श्रीलंका, थाईलैंड और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के क्षेत्र प्रभावित हुए थे। इस भयावह घटना ने दुनियाभर में सुनामी के प्रति जागरूकता और तैयारियों को बढ़ाया है, और भारत ने इस प्रकार की आपदाओं से निपटने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

भारत की तैयारी में बदलाव

सुनामी की विनाशकारी लहरों को देखते हुए भारत ने आपदा से निपटने के लिए विभिन्न प्रणालियों को सुदृढ़ किया है। खासकर, भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केन्द्र (IOTWS) की स्थापना ने भारत को आपातकालीन स्थितियों में तेज प्रतिक्रिया देने में सक्षम बनाया है। यह प्रणाली गहरे समुद्र में स्थित उपकरणों के माध्यम से वास्तविक समय में सुनामी के खतरे की जानकारी प्राप्त करती है, जिससे तटीय क्षेत्रों में समय रहते चेतावनी भेजी जा सकती है।

तत्काल प्रतिक्रिया केंद्र

2007 में स्थापित प्रारंभिक चेतावनी केंद्र में अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जो समुद्र स्तर और भूकंपीय गतिविधियों पर नजर रखता है। यह केंद्र हर मिनट पर 1400 निगरानी स्टेशनों से डेटा प्राप्त करता है और समुद्र में 6 या उससे अधिक तीव्रता वाले भूकंप का पता लगाने में महज 12 मिनट का समय लेता है। इसके साथ ही, गहरे समुद्र में लगे उपकरण सुनामी की चेतावनी प्रदान करते हैं।

संचार प्रणाली की ताकत

भारत में सुनामी चेतावनियों को तटवर्ती क्षेत्रों तक पहुंचाने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT) के सहयोग से मजबूत संचार नेटवर्क तैयार किया गया है। इससे सुनामी के खतरे की जानकारी सरकार, मीडिया और आम जनता तक जल्दी पहुंचती है।

यूनेस्को की भूमिका

यूनेस्को-आईओसी (इंटरगवर्नमेंटल ओशनोग्राफिक कमीशन) के प्रमुख डॉ. श्रीनिवास कुमार तुम्मला के अनुसार, "आज भारत और भारतीय महासागर के देशों के पास सुनामी से निपटने के लिए मजबूत प्रणालियाँ हैं। हम पहले की तुलना में अधिक तैयार हैं।"

शैक्षिक कार्यक्रम और जन जागरूकता

भारत में सुनामी से बचाव के लिए नियमित रूप से जन जागरूकता अभियान आयोजित किए जाते हैं, जिसमें तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को तैयार रहने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। इसके साथ ही, सुनामी शिक्षा कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को यह बताया जाता है कि किसी आपदा के समय क्या कदम उठाने चाहिए।

भविष्य की तैयारी

आज भी, भारत और अन्य देशों में सुनामी के खतरे से निपटने की प्रक्रिया जारी है। यूनेस्को और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों के सहयोग से, तटीय क्षेत्रों को सुरक्षित बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।

सुनामी से लड़ने के इन प्रयासों ने हमें भविष्य में ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार कर दिया है। २० साल पहले की त्रासदी से सीखे गए पाठ अब मानवता को बचाने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो रहे हैं।

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