21 मई को आतंकवाद विरोधी दिवस मनाने के पीछे राजीव गांधी की आतंकवादी हमले के दौरान मृत्यु बनी गंभीर वजह.....

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21 मई को आतंकवाद विरोधी दिवस मनाने के पीछे राजीव गांधी की आतंकवादी हमले के दौरान मृत्यु बनी गंभीर वजह.....
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आतंकवाद न सिर्फ भारत बल्कि पूरे विश्व के लिए एक गहरा जख्म बनता जा रहा है। आतंकवाद शब्द मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है, जो न धर्म देखता है न समुदाय। ये हर वर्ग को कभी न भरने वाला जख्म देता है। आपको बता दें कि आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठाने के लिए 21 मई का दिन चुना गया है, जहां पर भारत में हर साल 21 मई को आतंकवादी विरोधी दिवस मनाया जाता है।

आपको बता दें कि 21 मई का दिन आतंकवाद विरोधी दिवस के लिए निर्धारित किया गया है इसके पीछे एक बड़ी वजह है। 21 मई के दिन देश के सातवें और बेहद लोकप्रिय प्रधानमंत्री राजीव गांधी के आतंकवादी ने हत्या कर दी थी।

उनकी हत्या के बाद से ही 21 मई को आतंकवाद विरोधी दिवस मनाने का फैसला किया गया। इस दिन सरकारी दफ्तरों में आतंकवाद विरोधी दिवस की शपथ दिलाई जाती है। आतंकवाद की वजह से लोगों को जान-माल का कितना नुकसान उठाना पड़ता है, उससे भी लोगों को अवगत कराया जाता है। भारत में आतंकी घटनाओं में अब तक हजारों लोगों की जान जा चुकी है। साथ ही हजारों करोड़ की संपत्ति का नुकसान हो चुका है।

प्रस्तुत की गई रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 30 सालों में जम्मू कश्मीर में 40000 से अधिक लोगों की जान गई और 5000 से अधिक जवान सिर्फ आतंकवाद की वजह से मृत्यु की ओर चले गए।

हालांकि आंकड़ों के मुताबिक आतंकी हिंसा के शिकार लोगों में स्वयं 22 हजार से ज्यादा मौतें आतंकवादियों की हुई है। आतंकवाद विरोधी दिवस मनाने का एकमात्र मकसद देश में शांति और मानवता का संदेश फैलाना है, इसी के साथ आतंकी कैसे आतंकी हमलों को अंजाम देने की योजना बनाते हैं इसके बारे में लोगों को जागरूक करना भी होता है। लोगों के बीच एकता को बढ़ावा देना। युवाओं को शिक्षा और प्रशिक्षण देना ताकि वे आतंकी गुटों में शामिल न हों।

नेहा शाह

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