* महिला एवं बाल विकास, शिक्षा और स्वस्थ्य विभाग सहित अन्य हितधारकों के समन्वय से बनेगा बच्चों का तेज़ दिमाग और स्वस्थ शरीर

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* महिला एवं बाल विकास, शिक्षा और स्वस्थ्य विभाग सहित अन्य हितधारकों के समन्वय से बनेगा बच्चों का तेज़ दिमाग और स्वस्थ शरीर
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लखनऊ, 12 सितंबर, 2025

उत्तर प्रदेश सरकार और यूनिसेफ के सहयोग से शुक्रवार को स्कूल जाने वाले बच्चों और किशोर-किशोरियों में स्वस्थ आहार और जीवनशैली को बढ़ावा देने को लेकर एक राज्य स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया।

कार्यक्रम का शुभारम्भ महिला एवं बाल विकास विभाग की प्रमुख सचिव लीना जोहरी, शिक्षा विभाग की महानिदेशक कंचन वर्मा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, मातृ स्वास्स्थ्य की संयुक्त निदेशक डॉ. शालू, यूनिसेफ के कार्यक्रम प्रबंधक अमित मेहरोत्रा, राज्य टीकाकरण अधिकारी डॉ. अजय गुप्ता, एसजीपीजीआई की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पियाली भट्टाचार्य एवं किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी की विभागाध्यक्ष डॉ. मोनिका अग्रवाल ने दीप प्रज्वलित करके किया। कार्यक्रम में महिला एवं बाल विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, शैक्षणिक संस्थानों के विशेषज्ञ और बच्चों ने एक साथ शामिल होकर प्रदेश के 8 करोड़ स्कूली बच्चों के पोषण एवं बेहतर स्वास्थ्य के लिए मज़बूत वातावरण तैयार करने पर विचार-विमर्श किया।

महिला एवं बाल विकास विभाग की प्रमुख सचिव लीना जोहरी ने कहा – “सरकार बच्चों और महिलाओं के पोषण को बेहतर करने के लिए प्रतिबद्ध है। पोषण अभियान और आंगनवाड़ी केन्द्रों के ज़रिये दी जा रही सेवाओं से न केवल स्कूलों में उपस्थिति का स्तर बेहतर हुआ है बल्कि परिवारों के पोषण स्तर में भी सुधार हो रहा है।“ उन्होंने कहा कि बच्चे हमारे देश का भविष्य हैं लेकिन जंक फ़ूड के प्रति उनका बढ़ता आकर्षण एक गंभीर चिंता का विषय है। ऐसे में ज़रूरी है कि उनके पोषण-युक्त आहार और खेलकूद बराबर पर ज़ोर दिया जाए। यह महिला एवं बाल विकास विभाग, शिक्षा विभाग एवं स्वास्थ्य विभाग के नीतिगत एवं कार्यकर्मों में समन्वित प्रयास से ही संभव होगा। उन्होंने कहा कि इसमें मीडिया की भूमिका भी महतवपूर्ण है। मीडिया की यह ज़िम्मेदारी है कि वह युवाओं को स्वस्थ आहार के प्रति जागरूक करने का कार्य करे। साथ ही सभी से आग्रह किया कि वे भ्रामक विज्ञापनों पर ध्यान न दें।





शिक्षा महानिदेशक कंचन वर्मा ने कहा – “वर्ष 2047 तक विकसित उत्तर प्रदेश और विकसित भारत बनाने का सरकार का सपना तभी पूरा होगा जब बच्चों की सभी क्षमताएं विकसित हों और इसके लिए उचित पोषण और स्वस्थ जीवनशैली आवश्यक है। उन्होंने कहा कि शिक्षा तथा महिला एवं बाल विकास विभाग मिलकर बच्चों के शुरूआती और किशोरावस्था में पोषण को बेहतर करने के लिए निरंतर कार्य कर रहे हैं। इसके लिए विभाग शिक्षकों को निरंतर प्रशिक्षित करने की ज़रूरत है।

राष्ट्रीय टीकाकरण अधिकारी डॉ. अजय गुप्ता ने बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए विफ्स और राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत किये जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी दी।

यूनिसेफ के कार्यक्रम प्रबंधक अमित मेहरोत्रा ने कहा कि यूनिसेफ द्वारा उत्तर प्रदेश के कुछ चयनित स्कूलों में बच्चों का पोषण आंकलन किया जाएगा जिसके आधार पर सरकार नीतिगत निर्णय लेने में मदद मिलेगी।

एसजीपीजीआई की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पियाली भट्टाचार्य ने शुरूआती हज़ार दिनों और किशोरावस्था में बच्चों के पोषण पर विशेष ध्यान रखने अहमियत के बारे में बताया।

कार्यक्रम में आईसीएमआर की वैज्ञानिक प्रियंका बंसल ने एनीमिया और कुपोषण को लेकर की जा रही रिसर्च के बारे में जानकारी दी और बिहार व तेलंगाना से आए प्रतिनिधियों ने अपनी स्कूल आधारित सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा किया। अधिकारियों और अन्य हितधारकों ने कई नीतिगत सुझाव दिए। पोषण कार्यक्रमों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून से जोड़ने की बात हुई। शिक्षकों के प्रशिक्षण को मज़बूत किया जाएगा, पोषण और फ़ूड लेबल को लेकर बच्चों को शिक्षित करने और स्कूलों के 500 मीटर के दायरे में जंक फ़ूड के स्टाल प्रतिबंधित करने जैसे कड़े नियम लागू करने जैसे उपायों को अपनाने का आह्वान किया गया।

कार्यक्रम में इंडियन एसोसिएशन ऑफ़ पीडियाट्रिक्स से डॉ. संजय निरंजन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के महाप्रबंधक बाल स्वास्थ्य, आरबीएसके, आरकेएसके, मानसिक स्वास्थ्य, यूनिसेफ बिहार टीम से डॉ. संदीप, यूनिसेफ हैदराबाद से गौरी, एमडीएम उत्तर प्रदेश से तरुणा, नीलम, समीर, हिफजुर, एमडीएम बिहार से डॉ. प्रियंका, जावेद आदि शामिल रहे।

यूनिसेफ रिपोर्ट के अनुसार बच्चों में मोटापे की समस्या बनी चुनौती –

यूनिसेफ़ द्वारा हाल ही में जारी की गई चाइल्ड न्यूट्रिशन ग्लोबल रिपोर्ट 2025, के अनुसार मोटापे ने पहली बार वैश्विक स्तर पर स्कूली स्तर के आयु वर्ग के बच्चों और किशोरों में अल्प वज़न की दर को पीछे छोड़ दिया है। आज दुनिया भर में हर दस में से एक बच्चा, यानी 18.8 करोड़ बच्चों में मोटापा हैं। एक समय में जिस मोटापे को सम्पन्नता की निशानी माना जाता था, वही अब बीमारी बन चुका है। जो, निम्न और मध्यम-आय वाले देशों में भी तेज़ी से फैल रहा है, जिसमें भारत भी शामिल है।

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