कुछ तुम आगे बढ़ो कुछ हम आगे बढे , तभी होगा किसान आन्दोलन का समाधान

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कुछ तुम आगे बढ़ो कुछ हम आगे बढे , तभी होगा किसान आन्दोलन का समाधान
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किसान आन्दोलन में एकतरफ किसान तो दूसरी तरफ सरकार दोनों ने ही अड़ियल रुख अपना लिया है जिससे देश का लगातार नुकसान हो रहा है - जहाँ एक और किसान तीनो कृषि कानूनों को ख़त्म करने के अलावा किसी और विकल्प के लिए तैयार नहीं है वही दूसरी ओर सरकार लगातार संसोधन के लिए कह रही है जो किसानो को मंजूर नहीं है -


आन्दोलन पर सवाल -

किसान आन्दोलन पर अब सवाल भी उठने लगे है | हठधर्मिता से घर तो चलता नहीं इतने बड़े देश में कैसे इसे माना जा सकता है - आज हजारो लोग किसान कानून के लिए सड़क रोक कर बैठ गए है और हठधर्मी रुख अपना लिया है की कानून ख़त्म कर दो - आज अगर सरकार इनकी बात मान कर इसे ख़त्म कर देती है तो कल कोई और इन्ही का मार्ग अपना कर सड़क घेर कर बैठ जाएगा और कुछ और ख़त्म करने के लिए कहेगा | इस तरह तो देश चल नहीं पायेगा और संवैधानिक संस्थाओ का पतन हो जाएगा | अगर निर्णय सड़क पर ही होना है तो इनका देखा देखी कल कोई और सड़क पर होगा -

सरकार भी घेरे में -

सरकार में बैठे लोग किसानो के साथ नरमी से पेश आ रहे है | इसका कारण जायज है हम सब किसानो की इज्जत करते है और वो एक बड़ा वोट बैंक भी है जो सरकार को अस्थिर कर सकते है | पर अगर सरकार को ये लगता है की इनके साथ लोग नहीं है तो सख्ती से ये धरना ख़त्म करवा देना चाहिए और अगर ये लगता है की इनके साथ आम लोग है तो फिर कानून को ख़त्म कर समाधान करना चाहिए | सरकार की अनिर्णय की स्थिति से देश का लगातार नुकसान हो रहा है -

धरने में धर्म -

हालाकि लोग जितना भी कहे इस धरने में सिक्खों की बहुलता है और सरकार सिक्खों के प्रति नर्म रुख रखती है जिसके कारण वो निर्णय नहीं ले पा रही है जिसका फायदा टिकैत जैसे अड़ियल लोगो को मिल रहा है | कोई भी नेता देश से उपर नही हो सकता | आज कल टिकैत की भाषा मीडिया चैनल पर सुनकर ऐसा लगता है की उन्होंने अपने आप को सबसे उपर मान लिया है | अगर किसान भारत का अन्नदाता है तो एक बड़ा मध्यम वर्ग जो आज इस आन्दोलन से तबाह हो रहा है वो भी भारत का ही नागरिक है | उसकी चिंता भी सरकार और किसान को करना चाहिए -

भारत के मध्यमवर्गीय लोग की मुश्किल -

कोई भी आन्दोलन जब तक जन समर्थन नहीं हासिल करता वो बड़ा नहीं हो सकता | अन्ना आन्दोलन हो या निर्भया काण्ड जब इसमें आम जन जिसे मध्यम वर्ग के नाम से जाना जाता है वो जुदा तो आन्दोलन को धार मिली और सरकार को बदल दिया - पर इस किसान आन्दोलन से मध्यम वर्ग दूर है - उसे पहले कोरोना ने मारा अब बचा खुचा ये किसान आन्दोलन मार रहा है - किसानो और मजदूरो की सुनने वाली तो कई सरकार है पर पढ़ लिख कर मजदूर और किसान से भी कम कमाने वाले मध्यम वर्ग की किसी को चिंता नहीं है| ये वही वर्ग है जो पढले के लिए एजुकेशन लोन लेता है और पढ़ कर १५ से २० हजार महीने की नौकरी पर जिन्दगी काट देता है | इसी न तो सब्सिडी मिलती है न प्रधानमंत्री आवास , बल्कि ये बेचारा हर चीज पर टैक्स देता है और कभी भी शिकायत नही करता -

आन्दोलन गलत नहीं है पर ये लोगो के परेशानी का सबब नहीं बनना चाहिए | जो भी हो उसे सरकार या किसान संगठनों को जल्दी इसे ख़त्म करना चाहिए |

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