अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने बांग्लादेश में हिन्दू समुदाय के साथ वैश्विक एकजुटता का आह्वान किया

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अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने बांग्लादेश में हिन्दू समुदाय के साथ वैश्विक एकजुटता का आह्वान किया
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बेंगलुरु, 22 मार्च 2025

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार जी ने आज अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा द्वारा

पारित प्रस्ताव पर मीडिया को जानकारी दी। उनके साथ मंच पर अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर

भी उपस्थित रहे। ब्रीफिंग के दौरान कर्नाटक उत्तर और दक्षिण प्रचार प्रमुख अरुण कुमार, क्षेत्र प्रचार प्रमुख

आयुष नादिमपल्ली, अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख प्रदीप जोशी और नरेंद्र कुमार उपस्थित रहे।

अरुण कुमार जी ने बताया कि प्रतिनिधि सभा में संगठनात्मक कार्यों का विश्लेषण, विकास, प्रभाव और समाज

परिवर्तन पर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि संघ ने गत 100 वर्षों में कार्य के विस्तार और सुदृढ़ीकरण पर

ध्यान केंद्रित किया है। संघ की यात्रा के बारे में जानकारी दी और एक शाखा से लेकर पूरे देश में क्रमिक

विस्तार की जानकारी रखी। उन्होंने कहा कि संघ का लक्ष्य 'सर्वस्पर्शी, सर्वव्यापी' होना है, जो समाज और राष्ट्र

के सभी पहलुओं को स्पर्श करे। संघ आज देश के 134 प्रमुख संस्थानों (premiere institutions) में मौजूद है

और आने वाले वर्षों में सभी संस्थानों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा है।

संघ आज देश के सुदूर और आदिवासी इलाकों में काम करता है। उदाहरण के लिए, ओडिशा के कोरापुट और

बोलनगीर के जनजातीय क्षेत्रों में 1031 शाखाएं हैं, जिनमें उन समुदायों से ही कार्यकर्ता कार्य कर रहे हैं। संघ

परामर्श और आपसी सामंजस्य से काम करता है और समाज के विभिन्न शुभचिंतकों के साथ हजारों बैठकें

आयोजित की जाती हैं।

उन्होंने बताया कि गत वर्ष संपर्क अभियान के तहत समाज के विभिन्न क्षेत्रों में योगदान देने वाले लगभग 1.5

लाख पुरुषों और महिलाओं से संपर्क किया गया और उनके साथ विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई। लोकमाता

अहिल्यादेवी होलकर की 300वीं जयंती के अवसर पर उनके योगदान को समाज के समक्ष लाने के लिए

22,000 स्थानों पर कार्यक्रम और सम्मेलन आयोजित किए गए, जिनमें सभी वर्गों के लोगों ने हिस्सा लिया।

इसी के तहत महिलाओं की भागीदारी और समाज में उनके योगदान को बढ़ाने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए

गए। इस संबंध में वर्ष के दौरान 472 महिला-केंद्रित एक दिवसीय सम्मेलन आयोजित किए गए, जिनमें 5.75

लाख महिलाओं ने सहभागिता की।

जहां भी कोई समस्या है, संघ उसका समाधान करने की दिशा में काम करता है। उदाहरण के लिए, मध्यप्रदेश

के झाबुआ जिले में दिव्यांग बच्चे थे, वे उपेक्षित स्थित में थे और उनके पास सामान्य जीवन जीने का अवसर

भी नहीं था। संघ कार्यकर्ताओं ने ऐसे बच्चों की पहचान की और न केवल चिकित्सा सहायता की व्यवस्था की,

बल्कि उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने के लिए आजीविका के विभिन्न रास्ते भी उपलब्ध कराए।

उन्होंने कहा कि संघ के कार्य के विस्तार का मतलब आरएसएस की संख्यात्मक ताकत में वृद्धि नहीं है, बल्कि

यह समाज की सकारात्मक शक्ति में वृद्धि को दर्शाता है।

बांग्लादेश में हिन्दुओं के उत्पीड़न पर प्रस्ताव

अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में पारित 'बांग्लादेश के हिन्दू समाज के साथ एकजुटता से खड़े होने का

आह्वान' शीर्षक वाले प्रस्ताव पर कहा कि संघ बांग्लादेश में कट्टरपंथी इस्लामी तत्वों के हाथों हिन्दुओं और

अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हो रही हिंसा, उत्पीड़न और लक्षित उत्पीड़न पर गहरी चिंता व्यक्त

करता है। बांग्लादेश की स्थिति पर अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा द्वारा पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि

धार्मिक संस्थानों पर व्यवस्थित हमलों, क्रूर हत्याओं, जबरन धर्मांतरण और हिन्दुओं की संपत्तियों को नष्ट करने

के चक्र ने बांग्लादेश में हिन्दू समुदाय के लिए अस्तित्व का संकट पैदा कर दिया है। प्रस्ताव में धार्मिक

असहिष्णुता और मानवाधिकारों के उल्लंघन के इन कृत्यों की कड़ी निंदा की गई है और वैश्विक समुदाय से

निर्णायक कार्रवाई करने का आग्रह किया गया है।

बांग्लादेश में हिन्दुओं पर लगातार अत्याचार

अरुण कुमार जी ने कहा कि मठों, मंदिरों पर हमले, देवी-देवताओं की अपवित्रता, संपत्तियों की लूट और जबरन

धर्म परिवर्तन निंदनीय है, लेकिन संस्थागत उदासीनता और सरकारी निष्क्रियता के कारण अपराधियों का हौसला

बढ़ गया है।

बांग्लादेश में हिन्दू आबादी में लगातार गिरावट पर अरुण जी ने कहा कि 1951 में 22% से घटकर आज केवल

7.95% रह गई है, यह संकट की गंभीरता को दर्शाता है। हिन्दुओं का ऐतिहासिक उत्पीड़न, विशेष रूप से

अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के बीच, एक सतत मुद्दा बना हुआ है। हालांकि, पिछले साल

संगठित हिंसा का स्तर और सरकार की निष्क्रियता चिंताजनक है।

क्षेत्रीय स्थिरता के लिए बढ़ता खतरा

अरुण कुमार जी ने कहा कि प्रतिनिधि सभा बांग्लादेश में बढ़ती भारत विरोधी बयानबाजी के बारे में भी चिंता

जताती है, जो दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक रूप से गहरे संबंधों को खतरे में डालती है। प्रस्ताव में पाकिस्तान

और डीप स्टेट सहित अंतरराष्ट्रीय ताकतों के हस्तक्षेप को चेतावनी दी गई है, जो सांप्रदायिक तनाव और

अविश्वास को बढ़ावा देकर क्षेत्र को अस्थिर करना चाहते हैं। प्रस्ताव में इस बात को रेखांकित किया गया है कि

भारत और उसके पड़ोसी देश एक समान सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत साझा करते हैं, और क्षेत्र के एक

हिस्से में किसी भी तरह का सांप्रदायिक विवाद पूरे क्षेत्र को प्रभावित करता है।

हिन्दू समाज का सराहनीय प्रतिरोध और वैश्विक समर्थन

अरुण कुमार जी ने कहा कि गंभीर उत्पीड़न का सामना करने के बावजूद, बांग्लादेश में हिन्दुओं ने न्याय और

धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अपने संघर्ष में उल्लेखनीय सामर्थ्य दिखाया है।

उनके शांतिपूर्ण, सामूहिक और लोकतांत्रिक प्रतिरोध को भारत और दुनिया भर के हिन्दुओं से नैतिक और

मनोवैज्ञानिक समर्थन मिला है। भारत सरकार ने बांग्लादेश में हिन्दुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के साथ खड़े

होने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। भारत सरकार बांग्लादेश सरकार के साथ कूटनीतिक प्रयास कर रही है

और कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को उठाया है।

अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों और वैश्विक समुदाय से

इन अमानवीय कृत्यों पर गंभीरता से ध्यान देने और बांग्लादेश सरकार पर हिन्दुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के

खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने का दबाव बनाने का आह्वान किया है।

उन्होंने दोहराया कि संघ बांग्लादेश में हिन्दुओं के अधिकारों, सम्मान और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए

कृतसंकल्प है और इस गंभीर मानवीय और अस्तित्वगत संकट को दूर करने के लिए तत्काल हस्तक्षेप का

आग्रह करता है।

कई राज्यों के सीमावर्ती क्षेत्रों में भाषाओं के अनसुलझे विवादों पर पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा

कि सभी भाषाएं समान हैं और भाषा से जुड़े किसी भी मुद्दे पर लोगों को विभाजित नहीं किया जाना चाहिए।

हम एक हैं, एक राष्ट्र हैं और यह हमारी विशिष्टता है। हमारा मानना है कि भोजन, क्षेत्र, भाषा को बांटने का

हथियार नहीं बनना चाहिए, बल्कि हमें सभी को एकजुट करना चाहिए।

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