संघ शताब्दी वर्ष - संघ कार्य का विस्तार और सुदृढ़ीकरण, सामाजिक एकता और राष्ट्रीय पुनर्जागरण का लक्ष्य

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संघ शताब्दी वर्ष - संघ कार्य का विस्तार और सुदृढ़ीकरण, सामाजिक एकता और राष्ट्रीय पुनर्जागरण का लक्ष्य
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बेंगलुरु (23 मार्च, 2025)।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा बैठक के अंतिम दिन मीडिया से बातचीत के दौरान

सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने स्वतंत्रता सेनानियों भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को श्रद्धांजलि अर्पित

की। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान का स्मरण किया और समाज से उनके बलिदान से प्रेरणा लेने

का आग्रह किया। सरकार्यवाह जी ने अप्रतिम महिला स्वतंत्रता सेनानी महारानी अबक्का के जन्म की 500वीं

वर्षगांठ के अवसर पर जारी वक्तव्य के बारे में बताया। उनकी 500वीं जयंती पर, सरकार्यवाह जी ने महारानी

अब्बक्का को श्रद्धांजलि दी, उन्हें भारत की महान महिला स्वतंत्रता सेनानी, एक कुशल प्रशासक और निडर

योद्धा बताया। रानी अबक्का ने पुर्तगालियों के खिलाफ छोटे से राज्य उल्लाल (दक्षिण कन्नड़, कर्नाटक) की

वीरता से रक्षा की। उनके योगदान को सम्मान देते हुए भारत सरकार ने 2003 में डाक टिकट जारी किया तथा

2009 में एक गश्ती पोत का नाम उनके नाम पर रखा। सरकार्यवाह जी ने राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान,

साहस तथा नेतृत्व से प्रेरणा लेने का आग्रह किया। प्रतिनिधि सभा के बारे में मीडिया को जानकारी देते हुए कहा

कि संघ देश के कोने-कोने तक पहुंचने में सफल रहा है। संघ न केवल राष्ट्र को एकजुट करने का काम करता

है, बल्कि प्राकृतिक आपदाओं के दौरान तथा उसके बाद राहत एवं पुनर्वास कार्यों में भी सक्रिय रूप से शामिल

रहा है। इस वर्ष विजयादशमी के दिन संघ के 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं। जैसा कि पहले बताया जा चुका है, आने

वाला वर्ष संघ कार्य के विस्तार तथा सुदृढ़ीकरण पर केंद्रित होगा। संघ का उद्देश्य इस उपलब्धि का उत्सव

मनाना नहीं है, बल्कि 1). आत्मचिंतन करना, 2). संघ कार्य के लिए समाज द्वारा दिए समर्थन के लिए आभार

प्रकट करना तथा 3). राष्ट्र के लिए तथा समाज को संगठित करने के लिए स्वयं को पुनः समर्पित करना है।

उन्होंने कहा कि शताब्दी वर्ष में हम अधिक सावधानी, गुणवत्ता तथा व्यापकता से कार्य करने का संकल्प लेते

हैं। बांग्लादेश में हिन्दू उत्पीड़न पर पारित प्रस्ताव के अलावा अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने संघ के 100

वर्ष पूरे होने पर संकल्प लिया है। सरकार्यवाह जी ने कहा कि जैसा कि डॉ. हेडगेवार जी ने संघ की स्थापना के

समय कहा था, संघ कोई नया कार्य शुरू नहीं कर रहा है, बल्कि कई शताब्दियों से चले आ रहे काम को आगे

बढ़ा रहा है। विजयादशमी के दिन से संघ शताब्दी के दौरान विशिष्ट गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करेगा।

1. शताब्दी वर्ष की शुरुआत विजयादशमी 2025 के अवसर पर होगी, जिसमें गणवेश (संघ गणवेश) में

स्वयंसेवकों के मंडल, खंड/नगर स्तर के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। हर वर्ष की तरह इस अवसर

पर सरसंघचालक जी स्वयंसेवकों को संबोधित करेंगे।

2. नवंबर 2025 से जनवरी 2026 तक तीन सप्ताह तक बड़े पैमाने पर घर-घर संपर्क अभियान की योजना

बनाई गई है, जिसका विषय "हर गांव, हर बस्ती, घर-घर" होगा। संपर्क के दौरान संघ साहित्य वितरित

किया जाएगा और स्थानीय इकाइयों द्वारा कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

3. सभी मंडलों और बस्तियों में हिन्दू सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे, जिसमें बिना किसी भेदभाव के

प्रत्येक के जीवन में एकता और सद्भाव, राष्ट्र के विकास में सभी का योगदान और पंच परिवर्तन में

प्रत्येक व्यक्ति की भागीदारी, का संदेश दिया जाएगा।

4. खंड/नगर स्तर पर सामाजिक सद्भाव बैठकें आयोजित की जाएंगी, जिसमें एक साथ मिलकर रहने पर

बल दिया जाएगा। इन बैठकों का उद्देश्य सांस्कृतिक आधार और हिन्दू चरित्र को खोए बिना आधुनिक

जीवन जीने का संदेश देना होगा। उन्होंने महाकुम्भ का उदाहरण दिया, जहां सभी क्षेत्रों के लोग एक

साथ आए थे।

5. सरकार्यवाह जी ने कहा कि जिला स्तर पर प्रमुख नागरिक संवाद आयोजित किए जाएंगे। इन

कार्यक्रमों में राष्ट्रीय विषयों पर सही विमर्श स्थापित करने और आज प्रचलित गलत विमर्श को दूर

करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

6. युवाओं के लिए विशेष कार्यक्रम प्रांतों द्वारा आयोजित किए जाएंगे। 15 से 30 वर्ष की आयु के युवाओं

के लिए राष्ट्र निर्माण, सेवा गतिविधियों और पंच परिवर्तन पर केंद्रित कार्यक्रम किए जाएंगे। स्थानीय

इकाइयां आवश्यकता के अनुसार कार्यक्रमों की योजना बनाएंगी। हिन्दू संगठनों द्वारा वक्फ कानून को

निरस्त करने की मांग को लेकर पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि वक्फ द्वारा उनकी

भूमि पर अतिक्रमण से कई किसान भी प्रभावित हैं। सरकार समाधान पर काम कर रही है और जो

गलत है, उसे दूर किया जाना चाहिए। औरंगजेब पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर में कहा कि जो समाज

और राष्ट्र की संस्कृति के प्रतीक हैं, उन्हें ही हमारा आदर्श होना चाहिए, न कि वे जो असहिष्णुता के

लिए जाने जाते हैं और राष्ट्र के चरित्र का प्रतिनिधित्व नहीं करते। औरंगजेब जैसे लोगों का विरोध

धार्मिक नहीं, बल्कि राष्ट्र और उसकी एकता के हित में है। यद्यपि हमें 1947 में राजनीतिक स्वतंत्रता

प्राप्त हुई, लेकिन मानसिक उपनिवेशवाद आज भी एक वास्तविकता है और इस मानसिक उपनिवेशवाद

को समाप्त करना आवश्यक है। धर्म के आधार पर आरक्षण के बारे में पूछे गए प्रश्न पर उन्होंने कहा

कि न्यायालयों ने कई बार सरकार के ऐसे कार्यों को असंवैधानिक बताते हुए खारिज कर दिया है। इस

तरह के राजनीतिक कदम उठाने वाला कोई भी व्यक्ति संविधान निर्माताओं के उद्देश्य के विरुद्ध ही

जा रहा है। प्रतिवेदन में वर्तमान राष्ट्रीय परिदृश्य, विशेषकर मणिपुर की स्थिति पर उनके वक्तव्य को

लेकर कहा कि सरकार ने अपने आकलन के आधार पर कुछ कदम उठाए हैं और संघ ने केवल इतना

कहा है कि ऐसे सभी उपाय किए जाने चाहिए, जिससे समस्या का समाधान हो और मणिपुर के लोगों

का जीवन सामान्य हो और वे सौहार्दपूर्ण तरीके से रह सकें। संघ की 100 वर्ष की यात्रा के उद्देश्य पर

पूछे गए प्रश्न के उत्तर में सरकार्यवाह जी ने कहा कि हिन्दू समाज का पुनर्जागरण ही संघ का उद्देश्य

रहा है। संघ का लक्ष्य हिन्दू समाज को संगठित करना है। अस्पृश्यता जैसे कई अंतर्निहित दोषों के

कारण यह एक कठिन कार्य था। संघ अपनी शाखाओं और राष्ट्रव्यापी गतिविधियों के माध्यम से इसी

लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लगातार काम कर रहा है, जो एक सामंजस्यपूर्ण समाज और राष्ट्र के

लिए सभी को एक साथ लाता है।



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