भाषा विश्वविद्यालय: भारतीय जीवन मूल्यों के प्रसार हेतु राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय, लखनऊ में पं० दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती के अवसर पर पं० दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ के तत्वावधान में एक...


ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय, लखनऊ में पं० दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती के अवसर पर पं० दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ के तत्वावधान में एक...
ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय, लखनऊ में पं० दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती के अवसर पर पं० दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ के तत्वावधान में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफल आयोजन किया गया।
संगोष्ठी का विषय था – “पं० दीनदयाल उपाध्याय जी के सामाजिक विचारों की चेतना एवं भारतीय जीवन मूल्य”।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में श्री संजय मिश्रा, प्रो॰ राज शरण शाही एवं प्रो॰ रीपू सूदन मंचासीन रहे। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० अजय तनेजा ने अपने उद्बोधन में कहा कि पं० दीनदयाल उपाध्याय जी का एकात्म मानववाद आज भी समाज को दिशा देने में प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि भारतीय जीवन मूल्यों को अपनाने से ही समाज में समरसता एवं संतुलन स्थापित हो सकता है।
मुख्य अतिथि एवं अन्य विद्वानों ने पं० दीनदयाल उपाध्याय जी के जीवन दर्शन, समाजसेवा और राष्ट्रवाद पर अपने विचार प्रस्तुत किए। श्री संजय मिश्रा ने वेदों के महत्व और भारतीय ज्ञान परंपरा में गुरु के सर्वोच्च स्थान पर प्रकाश डाला। प्रो॰ राज शरण शाही ने भारतीय ज्ञान परंपरा की प्राचीनता पर बल देते हुए वेद अध्ययन की आवश्यकता बताई, वहीं प्रो॰ रीपू सूदन ने पं० दीनदयाल उपाध्याय जी के राजनीतिक दृष्टिकोण को छात्रों के समक्ष रखा।
संगोष्ठी में शिक्षकों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों की उत्साहपूर्ण भागीदारी रही। धन्यवाद ज्ञापन शोधपीठ की निदेशक प्रो॰ चंदना डे ने किया तथा संचालन डॉ॰ पूनम चौधरी ने संभाला। इस अवसर पर डॉ॰ लक्ष्मण सिंह , डॉ॰ नलिनी मिश्रा, प्रो॰ हैदर अली, डॉ॰ नीरज शुक्ल सहित अन्य शिक्षकगण उपस्थित रहे।
यह राष्ट्रीय संगोष्ठी भारतीय जीवन मूल्यों के प्रचार-प्रसार एवं पं० दीनदयाल उपाध्याय जी के विचारों को समाज तक पहुँचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल सिद्ध हुई।