शहरी स्थानीय निकायों के लिए राज्यों को 1154.90 करोड़ रुपये का अनुदान जारी
शहरी स्थानीय निकायों के लिए राज्यों को 1154.90 करोड़ रुपये का अनुदान जारी
वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने शहरी स्थानीय निकायों को अनुदान प्रदान करने के लिए आज 4 राज्यों को 1154.90 करोड़ रुपये की राशि जारी की। जिन राज्यों को सोमवार को अनुदान जारी किया गया, उनमें आंध्र प्रदेश (225.60 करोड़ रुपये), बिहार (769 करोड़ रुपये), गुजरात (165.30 करोड़ रुपये) और सिक्किम (5 करोड़ रुपये) शामिल हैं। आज जारी किए गए अनुदान छावनी बोर्डों सहित 'नॉन-मिलियन प्लस सिटीज (एनएमपीसी)' यानी दस लाख से कम आबादी वाले शहरों के लिए हैं।
15वें वित्त आयोग ने वर्ष 2021-22 से लेकर वर्ष 2025-26 तक की अवधि के लिए अपनी रिपोर्ट में शहरी स्थानीय निकायों को दो श्रेणियों में विभाजित किया है: (ए) मिलियन-प्लस शहरी समूह/शहर (दिल्ली एवं श्रीनगर को छोड़कर), और (बी) दस लाख से कम आबादी वाले अन्य सभी शहर और कस्बे (नॉन-मिलियन प्लस सिटीज)। 15वें वित्त आयोग ने इनके लिए अलग से अनुदान प्रदान करने की सिफारिश की है। नॉन-मिलियन प्लस सिटीज के लिए वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित कुल अनुदानों में से 40% बुनियादी (बिना शर्त) अनुदान है और शेष 60% सशर्त अनुदान है। बुनियादी (बिना शर्त) अनुदान का उपयोग वेतन के भुगतान और अन्य स्थापना व्यय को छोड़ स्थान विशेष की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जाता है।
वहीं, दूसरी ओर नॉन-मिलियन प्लस सिटीज के लिए सशर्त अनुदान बुनियादी सेवाएं मुहैया कराने में आवश्यक सहयोग देने और इन्हें मजबूती प्रदान करने के लिए जारी किए जाते हैं। कुल सशर्त अनुदान में से 50% 'स्वच्छता ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और आवास व शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचएंडयूए) द्वारा विकसित स्टार रेटिंग प्राप्त करने' के लिए निर्धारित किया गया है। शेष 50% 'पेयजल, वर्षा जल के संचयन और जल पुनर्चक्रण' से सशर्त जुड़ा हुआ है।
सशर्त अनुदान का उद्देश्य केंद्र और राज्य द्वारा आवंटित धन के अलावा शहरी स्थानीय निकायों को अतिरिक्त धनराशि की उपलब्धता सुनिश्चित करना है, ताकि वे स्वच्छता के साथ-साथ केंद्र प्रायोजित विभिन्न योजनाओं के तहत पेयजल और इसके साथ ही अपने यहां के नागरिकों को विभिन्न गुणवत्तापूर्ण सेवाएं उपलब्ध करा सकें। वित्त वर्ष 2021-22 में अब तक राज्यों को जारी शहरी स्थानीय निकाय अनुदान की राज्यवार राशि निम्नानुसार है: