भारत और नेपाल के बीच दूरियां होने लगी समाप्त लेकिन चीन फिर कर सकता है दखलअंदाजी

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भारत और नेपाल के बीच दूरियां होने लगी समाप्त लेकिन चीन फिर कर सकता है दखलअंदाजी

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चीन के बहकावे में आया नेपाल में फिर से भारत की ओर साथ चलने के लिए हाथ बढ़ाया तथा भारत के साथ अपने दोस्तों को सुधारने की लगातार कोशिश कर रहा है। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली भारत के साथ अपने रिश्ते को आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक दिख रहे हैं। विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रंगला की दो दिवसीय यात्रा के बाद नेपाल भारत के साथ ट्रैवल एयर बबल के मसले पर पंचेश्वर परियोजना पर कुछ सकारात्मक कदम उठाना चाहता है। इसकी खबर परिचित अधिकारियों द्वारा बताई गई

प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के साथ हर्षवर्धन श्रंगला कि कम से कम 50 मिनट की बैठक में दोनों देशों की लिपू लेखा सीमा रेखा की वजह से दोनों देशों में बिगड़ते रिश्तो को सामान्य करने की बात रखी गई।

तय की गई योजना यानी ट्रैवल एयर बबल एक ऐसी परियोजना है जिसमें हवाई यात्रा के लिए दो देशों के बीच समझौता साइन होता है तथा जब द्विपक्षीय समझौता करके दो देशों के लिए एक खास कॉरिडोर बनाया जाता है उससे एयर बबल कहते हैं। ताकि हवाई यात्रा में किसी भी परेशानी का सामना यात्रियों को ना करना पड़े तथा दोनों देशों के पैसेंजर्स वैलिड वीजा के साथ एक से दूसरे शहर में आसानी से आ जा सकेंगे।इनमें मुख्य द्वार से सरकारी एयरलाइंस से सफर करने वाले पैसेंजर्स को शामिल किया जाता है। कोरोना काल की वजह से अभी नेपाल और भारत के बीच एयर बबल ट्रैवल बंद है उम्मीद की जा सकती है कि जल्द ही इस पर द्विपक्षीय योजना बन जाए।

प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कहा कि "वे रिश्तो को आगे बढ़ाने के इच्छुक हैं वह इस संदर्भ में कुछ संकेत भेजेंगे।" दे भारत के साथ सीमा विवाद को लेकर भी चर्चा करना चाहते हैं तथा द्विपक्षीय योजना जो कि ठप हो चुकी है उसके साथ ही साथ पंचेश्वर परियोजना पर भी बातचीत फिर से शुरू कर सकते हैं।

और सीमा रेखा पर फिर से सुचारू रूप से आवाजाही कर सकते हैं। सूत्रों की मानें तो बताया जा रहा है कि जल्द ही पाकिस्तान के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार भारत के दौरे पर होंगे जिन की तारीखों पर विचार किया जा रहा है।

आपको बता दें कि दोनों देशों के बीच संबंध तब खराब हुए जब गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने लिपुलेख दर्रा और धारचूला को जोड़ने वाले 18 किलोमीटर लंबे मार्ग का उद्घाटन किया। और कुछ ही दिनों बाद नेपाल ने एक नया मानचित्र प्रस्तुत कर लिपुलेख , कालापानी और लिंपियाधूरा को अपने अंदर दिखाया।

जब भारत को यह चीज पता चली तब उसने तीखी प्रतिक्रिया करते हुए नेपाल से कहा कि उन्हें जमीनी मामले में कृत्रिम विस्तार स्वीकार नहीं।

हालांकि बीते कुछ दिनों से दोनों देशों के बीच संबंध सहज होने लगे हैं। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली लगातार भारत से अपने अच्छे संबंध बनाने में काम कर रहे हैं तथा एयर बबल व पंचेश्वर परियोजना पर काम करने के लिए हाथ आगे बढ़ा रहे हैं जल्द ही नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार भारत का दौरा कर सकते हैं तथा एक साथ काम करने का प्रस्ताव रख सकते हैं।

नेहा शाह

Tags:    ChinaIndia
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