किसान बातचीत के लिए माने सरकार ने प्रेजेंटेशन के द्वारा समझाया मंडियों मे नए बदलाव जो कि किसान हित में लिए गए हैं।
केंद्र सरकार के कृषि कानून के खिलाफ देशभर के किसान देश की राजधानी दिल्ली में लगातार पांच दिन से प्रदर्शन कर रहे हैं।देश की राजधानी की सीमाओं को...
केंद्र सरकार के कृषि कानून के खिलाफ देशभर के किसान देश की राजधानी दिल्ली में लगातार पांच दिन से प्रदर्शन कर रहे हैं।देश की राजधानी की सीमाओं को...
केंद्र सरकार के कृषि कानून के खिलाफ देशभर के किसान देश की राजधानी दिल्ली में लगातार पांच दिन से प्रदर्शन कर रहे हैं।
देश की राजधानी की सीमाओं को किसानों ने बंद कर रखा है तथा बॉर्डर पर धरना प्रदर्शन जोरों शोरों से चल रहा है।
ऐसे में कानून कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों के मुखिया को कोविड-19 का हवाला देते हुए 3 दिसंबर को की जाने वाली अधिकारियों की बैठक को आज ही करवाने के लिए आमंत्रित किया। किसानों का यह धरना केंद्रीय कृषि कानून मंत्री के खिलाफ था जो कि 5 दिनों से लगातार हो रहा है आज छठा दिन पूरा होने जा रहा है। नए एवं प्रस्तावित कृषि कानून से किसानों को डर है कि उनके न्यूनतम आय और घर जाएगी तथा उन्हें नुकसान होगा।
इसीलिए किसानों को आज ही बैठक के लिए आमंत्रित किया गया तथा प्रेजेंटेशन के द्वारा उन्हें एमएसपी के बारे में जानकारी दी जा रही थी।
जबकि मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व कई बार भाजपा के बड़े नेताओं द्वारा एवं कृषि कानून मंत्री द्वारा किसानों को बताया गया कि नया कृषि कानून उनकी भलाई के लिए है और उनके न्यूनतम राशि को और बढ़ाएगा। परंतु किसानों का कहना है कि इससे सीधे बड़े उद्योगपतियों को फायदा मिलेगा।
बात सिर्फ यही तक नहीं रही राजनीतिक सियासत भी तेजी से रुख बदल रही है केंद्रीय सरकार पर आरोपों की बौछार की जा रही है। परंतु सरकार ने यह साफ कर दिया है कि किसानों के एमएसपी कहीं नहीं जाएगी जबकि किसानों का कहना है कि हम एसपी को लिखित तौर पर कानून में शामिल किया जाए।
एक दिन पहले ही किसानों ने सरकार के आमंत्रण को ठुकरा दिया था।
नेहा शाह