'सामुदायिक पत्रकारिता के क्षेत्र में अभिनव प्रयोग है खबर लहरिया'

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सामुदायिक पत्रकारिता के क्षेत्र में अभिनव प्रयोग है खबर लहरिया

जयपुर, 14 मई। जयपुर से प्रकाशित मीडिया त्रैमासिक कम्युनिकेशन टुडे की वेबिनार श्रृंखला की स्वर्ण जयंती के अवसर पर 50 वीं वेबिनार 'सामुदायिक पत्रकारिता के क्षेत्र में अभिनव प्रयोग: खबर लहरिया' विषय पर आयोजित की गई। उल्लेखनीय है खबर लहरिया पर हाल ही में राइटिंग विद फायर नाम से निर्मित डॉक्यूमेंट्री को ऑस्कर पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था। इस वेबिनार में मध्य भारत के बुंदेलखंड क्षेत्र से प्रारंभ खबर लहरिया की रोमांचक यात्रा के विविध पक्षों पर विस्तार से चर्चा हुई। खबर लहरिया की प्रबंध संपादक मीरा देवी ने बताया कि खबर लहरिया में महिलाओं को पत्रकारिता के क्षेत्र में पूरी निष्ठा और दृढ़ता के साथ कार्य करने के लिए प्रेरित किया एक ऐसे समाज में जहां महिलाओं को एक परंपरागत सांचे में ढाल कर देखने की आदत रही हो वहां महिलाओं को प्रेरित करते हुए पत्रकारिता के माध्यम से उन्हें समाज की मुख्यधारा के साथ जोड़ने में खबर लहरिया ने विशेष पहल की है। मीरा देवी का मानना था कि तकनीकी ने जहां खबर लहरिया को वैश्विक पहचान दी वहीं दूसरी ओर लगातार हो रही ट्रोलिंग के बावजूद उन्होंने भरोसे की पत्रकारिता के प्रतिमान तैयार किए हैं। उन्होंने बताया कि खबर लहरिया ने महिला पत्रकारों के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम की भी शुरुआत की है।

चीफ रिपोर्टर गीता देवी ने खबर लहरिया के साथ अपने एक दशक से अधिक समय के जुड़ाव को याद करते हुए बताया कि किस प्रकार ग्रामीण क्षेत्रों में रिपोर्टिंग करते समय उन्हें धमकियां भी मिलती थीं लेकिन इसके बावजूद उन्होंने मुख्यधारा की पत्रकारिता से अलग हटकर अपनी खबरें लिखीं। विषय प्रतिपादन करते हुए वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म समीक्षक श्याम माथुर ने खबर लहरिया की विषय वस्तु की चर्चा करते हुए कहा कि यह समाचार पत्र शक्तिशाली प्रहरी के रूप में काम करते हुए सरकारी अमले की जिम्मेदारी तय करने में सफल रहा है। खबर लहरिया ने असहज करने वाले सवाल पूछने का भी 'दुस्साहस' किया है। उन्होंने पुरुष प्रधान समाज में आदिवासी, पिछड़ी, दलित और मुस्लिम महिलाओं के माध्यम से पत्रकारिता के क्षेत्र में खबर लहरिया के अतुलनीय योगदान पर विस्तार से टिप्पणी की। भारतीय जनसंचार संस्थान के जम्मू परिसर के क्षेत्रीय निदेशक प्रो राकेश गोस्वामी ने सामुदायिक पत्रकारिता के क्षेत्र में किए गए प्रयोगों का उल्लेख करते हुए कहा कि दलित महिलाओं ने उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड जैसे सर्वाधिक पिछड़े क्षेत्र में पत्रकारिता करते हुए पत्रकारिता के नए प्रतिमान कायम की किए। प्रारंभ में कम्युनिकेशन टुडे के संपादक एवं राजस्थान विश्वविद्यालय के जनसंचार केंद्र के पूर्व अध्यक्ष प्रो संजीव भानावत ने आयोजन की पृष्ठभूमि की चर्चा करते हुए आज से 20 वर्ष पहले चित्रकूट से प्रारंभ हुए एक पृष्ठीय हस्तलिखित समाचार पत्र के रूप में प्रकाशन यात्रा शुरू करते हुए डिजिटल मीडिया तक की उपस्थिति की रोमांचक यात्रा का उल्लेख करते हुए चर्चा का संयोजन किया। आयोजन सचिव तथा शहीद मंगल पांडे पीजी गर्ल्स कॉलेज, मेरठ में अंग्रेजी विभाग की व्याख्याता डॉ उषा साहनी ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। तकनीकी पक्ष आईआईएमटी यूनिवर्सिटी मेरठ की पत्रकारिता की सहायक प्रोफेसर डॉ पृथ्वी सेंगर ने संभाला । इस परिचर्चा में पाकिस्तान फिलीपींस और इराक सहित देश के विभिन्न अंचलों के 236 प्रतिभागियों ने पंजीयन कराया। परिचर्चा में जबलपुर विश्वविद्यालय की पत्रकारिता विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो उमा त्रिपाठी, भारतीय जनसंचार संस्थान ,जम्मू के संजीत खजूरिया, मगध विश्वविद्यालय के पत्रकारिता के विद्यार्थी आशीष रंजन आदि ने भी खबर लहरिया के योगदान की विशेष सराहना की।

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